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भूटान में 30 माह बाद खुले बॉर्डर, रोज देना होगा टैक्स; एंट्री के नियम भी बदले

सिलीगुड़ी। भूटान ने विदेशियों के लिए अपनी सीमाएं खोल दी हैं। तकरीबन 30 महीने बाद भूटान की सरजमीं विदेशियों के लिए खोली गई है। कोरोना महामारी के कारण भूटान ने बाहरी लोगों के लिए एंट्री बैन कर रखी थी। शुक्रवार को इन प्रतिबंधों के हटने के बाद भूटानी नागरिक भी सीमा पार जा सकते हैं।

हालांकि इस बार भूटान सरकार ने विदेशियों के लिए खास नियम जारी किए हैं। जिसमें एंट्री पर प्रतिदिन शुल्क देना अनिवार्य होगा। साथ ही एंट्री से पहले ऑनलाइन आवेदन जरूरी होगा। एंट्री के वक्त पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड से काम नहीं चलेगा।

भारत समेत दुनिया के कई देशों के लोगों के लिए भूटान हमेशा घूमने की पसंदीदा जगह रहा है। शुक्रवार को भूटान घूमने की इच्छा रखने वालों के लिए अच्छी खबर आई। भूटान सरकार ने विदेशी लोगों के लिए सीमाएं खोल दी हैं। साथ ही भूटान के नागरिक भी अब सीमा पार जा सकते हैं। कोरोना महामारी के चलते 30 महीने तक भूटान ने अपनी सीमाएं बंद कर रखीं थी।

घूमने के लिए जेब होगी ढीली
भूटान सरकार ने जनवरी 2020 को संसद द्वारा पारित कानून के तहत विदेशियों की एंट्री पर कर लागू किया है। इस नियम में भारतीय भी शामिल हैं हालांकि उन्हें रकम के मामले में थोड़ी रियायत जरूर मिली है। भारतीयों के लिए भूटान की एंट्री पर 1200 रुपए प्रतिदिन शुल्क देना होगा। जबकि, विदेशियों के लिए यह रकम 200 डॉलर प्रतिदिन है।


भावुक नजर आए लोग
शुक्रवार को जयगांव-फंटशोलिंग सीमा पर अधिकारियों ने कुछ भावनात्मक दृश्य देखे। सीमा पर भारतीय हिस्से में तैनात एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “भूटान की एक महिला भारत को पार करते ही फूट-फूट कर रोने लगी। उसकी मां, जिसने एक भूटानी नागरिक से शादी की। वह उत्तरी बंगाल के कलिम्पोंग में रहती है। उसने कहा कि वह ढाई साल बाद अपनी मां को देखेगी।”

नए नियम लागू
यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण अब से अनिवार्य है। केवल पासपोर्ट और मतदाता पहचान पत्र भारतीय नागरिकता के प्रमाण के रूप में स्वीकार किए जाएंगे। पहले आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन अब नियम बदल गए हैं। साथ ही, 18 वर्ष से कम आयु के भारतीयों को पहचान प्रमाण के रूप में मूल जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

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