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29 संसदीय क्षेत्रों से मंत्री बनाने के फॉर्मूले पर भी भाजपा में मंथन

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रहेगी रणनीति, कौन बनेगा मुख्यमंत्री… ये पहेली भी अगले 48 घंटे में सुलझने की उम्मीद

इंदौर। एक चुनाव निपटते ही भाजपा (BJP) अगले चुनाव की तैयारी में भीड़ जाती है। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तैयारी शुरू करवाई और कल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसदीय दल की बैठक में कहा कि जनता के पास जाएं और लोक कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दें। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों को जीतने की रणनीति पर काम शुरू किया गया है और प्रत्येक संसदीय क्षेत्र से कम से कम एक मंत्री देने का फॉर्मूला खोजा जा रहा है। दूसरी तरफ कौन बनेगा मुख्यमंत्री यह पहेली भी अगले 48 घंटे में सुलझने की उम्मीद है। हालांकि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने भी रविवार तक मुख्यमंत्री का नाम तय हो जाने की बात मीडिया से चर्चा के दौरान की है। तीन राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली दरबार को तय करना है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तो परिणाम के बाद ही दौरे पर निकल गए और सबसे पहले कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पहुंचे। साथ ही यह संकल्प भी दिला रहे हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में मोदी जी को 29 कमल की मालाएं पहनाना है। उल्लेखनीय है कि 6 महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव होना है, जिसके मद्देनजर भाजपा के दिल्ली दरबार ने विधानसभा चुनावों के लिए कारगर रणनीति बनाकर तीन राज्यों में जोरदार जीत हासिल की। मध्यप्रदेश में तो 163 सीटें मिल गईं। वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 29 में से 28 सीटें भाजपा ने जीती थी। सिर्फ एक छिंंदवाड़ा की सीट ही कांग्रेस के खाते में गई। इस बार सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य भाजपा ने तय किया है, जिसके चलते अभी जो नया मंत्रिमंडल गठित होगा उसमें यह प्रयास किए जा रहे हैं कि प्रत्येक लोकसभा सीट को प्रतिनिधित्व दिया जाए। यानी हर लोकसभा क्षेत्र से कम से कम एक मंत्री तो बनाया ही जाए। वहीं अन्य जातिगत, राजनीतिक क्षेत्रीय समीकरण भी साधे जाएंगे। इंदौर जिले की इस बार सभी 9 विधानसभा सीटें भाजपा की झोली में गिरी हैं और लगभग आधा दर्जन विधायक मंत्री बनने की दौड़ में है। अब देखना यह है कि इस बार इंदौर को मंत्रिमंडल में कितना प्रतिनिधित्व मिल पाता है। दूसरी तरफ कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर भी तमाम कयास, अटकलबाजी जारी है। अभी जो नाम चल रहे हैं उनमें से कोई एक अथवा नया और चौंकाने वाला नाम भी मोदी-शाह की जोड़ी दे सकती है। अगले 48 घंटे में उम्मीद है कि मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला हो जाएगा। श्री विजयवर्गीय ने भी 10 दिसम्बर यानी रविवार तक मुख्यमंत्री को लेकर चल रही धुंध छंट जाने की उम्मीद जताई है। दूसरी तरफ लगातार दिल्ली में विचार-मंथन चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी चूंकि मुख्यमंत्री का चयन किया जाना है और साथ ही लोकसभा चुनाव की चुनौती को भी ध्यान में रखना है। लिहाजा मुख्यमंत्री चयन को लेकर विचार-मंथन हर स्तर पर जारी है। दूसरी तरफ भाजपा ने अपने जिन केन्द्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वाया और जो जीते उनसे लोकसभा सदस्यता से इस्तीफे करवा लिए और साथ ही मंत्री पद भी उन्होंने छोड़ दिया है। केन्द्रीय कृषिमंत्री नरेन्द्रसिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और रेणुका सिंह का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया, जिससे यह भी स्पष्ट हो गया कि अब ये नेता केन्द्रकी बजाय मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे और इनमें से भी किसी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।

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