- छह पहियों वाली इंजन की एक ट्रॉली हो गई डीरेल, छह घंटे की मशक्कत के बाद हो सकी रीरेल
इंदौर (Indore)। महू रेलवे यार्ड (Mhow Railway Yard) के पास कल सुबह बिजली के इंजन (electric locomotive) के पटरी से उतरने की घटना रेलवे के लिए भी अजीब पहेली बन गई है। यार्ड की तरफ जाने वाली एक लाइन पर इंजन बंद हालत में रात से खड़ा था। रेलवे अफसरों का दावा है कि इंजन को नियमानुसार पटरी और चेन से बांधकर रखा गया था और इंजन को रोकने के लिए चक्कों के आसपास गुटके भी लगे थे। इंजन में कोई शंटर (लोको पायलट) भी नहीं था। इसके बावजूद इंजन चेन तोडक़र गुटके हटाते हुए अपने आप चलकर 100-150 मीटर आगे महू स्टेशन की तरफ बढ़ गया।
घटना सुबह पांच से 5.30 बजे के बीच हुई। इंजन की पूरी एक ट्रॉली उतर गई। हर इंजन में दो ट्रॉली लगी होती हैं और हर ट्रॉली में छह पहिए होते हैं। सूचना मिलने पर उज्जैन से एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (एआरटी) बुलवाई गई, क्योंकि महू में बड़ी लाइन की एआरटी नहीं है और छोटी लाइन की एआरटी पातालपानी स्टेशन पर शिफ्ट की जा चुकी है। एआरटी के कर्मियों ने आते ही मैदान संभाला और इंजन की ट्रॉली को जैक और अन्य संसाधनों की मदद से दोबारा पटरी पर चढ़ाया जा सका। सुबह 11 से 11.30 बजे के बीच लाइन चालू कर दी गई। बहरहाल, रतलाम रेल मंडल ने घटना की जांच तो शुरू कर दी है, लेकिन अफसरों के लिए यह समझना कठिन हो रहा है कि आखिर चेन तोड़ते हुए बंद इंजन आगे कैसे बढ़ गया? एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि पास की पटरी पर हो रहे काम के कारण पैदा हुए कंपन से इंजन आगे सरक गया होगा। अगले हफ्ते तक घटना की अधिकृत रिपोर्ट आएगी, उसके बाद जिम्मेदारी तय होगी। घटना के कारण चार ट्रेनों को निरस्त करना पड़ा था, क्योंकि पटरी से उतरे इंजन के कारण ट्रेनों के रैक पिटलाइन से लाने की लाइन भी अवरुद्ध हो गई थी।
कुछ देर बाद यार्ड से आने वाला था इंटरसिटी का खाली रैक
जिस समय इंजन पटरी से उतरा, उसके कुछ देर बाद रेलकर्मी महू पिटलाइन से महू-इंदौर-भोपाल इंटरसिटी का खाली रैक महू स्टेशन पर लाने की तैयारी कर रहे थे। यह रैक पास की लाइन से लाया जाना था। इंजन जहां पटरी से उतरा, वहां पास ही दो पटरियां मिलती हैं। सूत्रों ने बताया कि यदि इंटरसिटी का रैक यार्ड से प्लेटफॉर्म की ओर लाते वक्त पास वाली लाइन पर खड़ा इंजन रोल हो जाता तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। एक अपुष्ट खबर यह है कि करीब तीन महीने पहले भी इसी जगह एक इंजन डीरेल हुआ था, लेकिन तब घटना में मानवीय गलती की बात सामने आई थी। कई साल पहले इंदौर यार्ड से भी कोच या ट्रेनों के खाली रैक अपने आप चलने की घटनाएं हो चुकी हैं।