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2016 में भी चला था बुलडोजर, 2017 में बना लिया घर और फिर… रैट माइनर हसन पर बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: सिलक्यारा सुरंग से 41 लोगों को निकालने में मदद करने वाले दिल्ली के रैट माइनर वकील हसन के घर पर डीडीए के बुलडोजर एक्शन पर बवाल जारी है. सिलक्यारा सुरंग हादसे के हीरो रहे वकील हसन डीडीए से उसी जगह पर घर देने की मांग कर रहे हैं, जबकि निगम उन्हें कहीं और फ्लैट देने की पेशकश कर चुका है. रैट माइनर वकील हसन का घर जमींदोज किए जाने के मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है. डीडीए की मानें तो यह पहली बार नहीं है जब रैट माइनर हसन की कथित अवैध घर पर बुलडोजर चला हो. इससे पहले 2017 में भी डीडीए उनके घर पर बुलडोजर चला चुका है.

डीडीए ने बयान जारी कर कहा है कि जब उनकी टीम ने उत्तर-पूर्व दिल्ली के खजूरी खास इलाके में बुलडोजर एक्शन लिया, तो इसी दौरान रैट माइनर वकील हसन का भी अवैध घर जमींदोज हुआ. डीडीए का कहना है कि उन्हें पहले वकील हसन के उस योगदान की जानकारी नहीं थी, जो उन्होंने उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग हादसे में दी थी. मगर जैसे ही टीम को इस बात की जानकारी हुई, आनन-फानन में रैट माइनर हसन को डीडीए की ओर से नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट की पेशकश की गई लेकिन हसन ने उसे ठुकरा दिया. बता दें कि हसन अपने घर के मलबे पर ही बैठकर इस एक्शन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.


2016 में भी हसन के घर पर हुआ था बुलडोजर एक्शन
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीए का कहना है कि रैट माइनर हसन को जानकारी थी कि उनका घर अवैध है और सार्वजनिक जमीन पर उन्होंने अपना घर बना रखा था. डीडीए की मानें तो साल 2016 में इसी इलाके में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था. उस वक्त भी हसन द्वारा बनाए गए अवैध घर को ध्वस्त कर दिया गया था. हालांकि, साल 2017 में डीडीए ने पाया कि उसी जगह पर फिर से मकान खड़ी हो गई है. इसके बाद डीडीए ने 2018 और 2022 में कई बार बुलडोजर एक्शन की कोशिश की, मगर हर बार हसन के परिवार ने बल का प्रयोग कर ध्वस्तीकरण अभियान को रोक दिया.

डीडीए ने की फ्लैट की पेशकश
डीडीए अधिकारियों ने कहा कि सिल्कयारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने वाली रैट होल माइनर्स टीम का हिस्सा रहे वकील हसन को बुलडोजर एक्शन के कुछ घंटों बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उनके परिवार को नरेला में ईडब्ल्यूएस फ्लैट की पेशकश की लेकिन हसन ने उसे ठुकरा दिया. डीडीए ने स्पष्ट किया कि तोड़-फोड़ अभियान से पहले या उसके दौरान अधिकारियों को सिल्कयारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने वाले अभियान में हसन की भूमिका की जानकारी नहीं थी. यह ‘अतिक्रमण हटाने का एक नियमित अभियान’ था और बुधवार की कार्रवाई किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बनाकर नहीं की गई.

हसन ने क्यों ठुकराया ऑफर
वहीं, रैट माइनर वकील हसन का कहना है कि उन्होंने डीडीए के अधिकारियों की ओर से बुधवार रात को अस्थायी आवास मुहैया कराने की पेशकश को इसलिए ठुकरा दिया, क्योंकि अधिकारियों ने सिर्फ मौखिक तौर पर आश्वासन दिया था. हसन ने आरोप लगाया कि डीडीए ने बिना नोटिस दिये उनका मकान तोड़ दिया. उसके बाद हसन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ मलबे के पास ही फुटपाथ पर रात बिताने को मजबूर हैं. गुरुवार को उन्होंने अपने परिवार संग मलबे पर ही प्रदर्शन किया. फिलहाल, इस मामले में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच सियासत जारी है.

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