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बुन्देलखंड : हमीरपुर में महिलाओं के अनोखे दंगल में लगा कोरोना का ग्रहण

हमीरपुर । बुन्देलखंड के हमीरपुर जनपद के निवादा गांव में महिलाओं के अनोखे दंगल की पुरानी परम्परा को कोरोना महामारी का ग्रहण लग गया है। अंग्रेजों के जमाने से लगातार होने वाले घूंघट वाली महिलाओं के दंगल को रद्द कर दिया गया है। जिससे महिलाओं में मायूसी देखी जा रही है। दंगल में घूंघट की ओट में तमाम कुश्तियां होती थी, साथ ही बुजुर्ग महिलाओं की भी गुत्थमगुत्था होती थी।

जनपद के मुस्करा क्षेत्र के लोदीपुर निवादा गांव में अंग्रेजों के जमाने में महिलाओं के अनोखे दंगल का आगाज हुआ था। गांव के राजू पाठक ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत में फौजों ने यहां लोगों पर बड़ा अत्याचार किया था। अंग्रेजी फौजों के जुल्म से गांव के लोग परेशान थे तब महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिये बिना कुश्ती के दांवपेंच सीखे थे। रिटायर्ड शिक्षक जगदीश चन्द्र जोशी के मुताबिक अंग्रेजों के अत्याचार से गांव के पुरुष जान बचाने के लिये इधर उधर भाग जाते थे। तब महिलायें अंग्रेजी फौजों से निपटने के लिये कुश्ती के सारे दांव सीख लिये थे। तभी से गांव में महिलाओं के अनोखे दंगल का आगाज हुआ। ये अनोखा दंगल रक्षाबंधन त्यौहार के दिन होता है, जिसमें पूरे गांव की महिलायें शामिल होती है।

दंगल से कुछ दिन पहले गांव की महिलायें अपने घरों में ज्वारे बोती है। फिर दंगल के दिन सभी महिलायें मंगल गीत गाते हुये अखाड़े तक पहुंचती हैं। इस अनोखे दंगल के साथ रक्षाबंधन त्यौहार की धूम मचती है। लेकिन अबकी बार कोरोना के कारण ये सैकड़ों साल पुरानी परम्परा टूट रही है।

महिलाओं के दंगल में नहीं होती पुरुषों की इन्ट्री
गांव के ग्राम प्रधान गुड्डों ने बताया कि रक्षाबंधन के दिन दोपहर बाद महिलाओं का दंगल होता है, जिसमें सिर्फ महिलायें ही प्रवेश करती हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शिवप्रसाद कुशवाहा ने बताया कि दंगल में पुरुषों की इन्ट्री नहीं होती है। दंगल के चारां ओर पुरुषों पर नजर रखने के लिये महिलाओं की एक टुकड़ी लाठी डंडे से लैस होकर मुस्तैद रहती है। किसी पुरुष ने दंगल में प्रवेश करने का प्रयास भी किया तो इन्हें महिलायें खदेड़ देती हैं।

महिलाओं के दंगल में बुजुर्ग महिला ही बजाती है ढोल
लोदीपुर निवादा गांव की सरपंच का कहना है कि महिलाओं के इस दंगल की खास विशेषता है कि दंगल में गांव की बुजुर्ग महिला ही अखाड़े में ढोल लेकर आती है और ढोल बजाकर घूंघट वाली महिलाओं का उत्साह बढ़ाती हैं। अखाड़े में गद्दा बिछाया जाता है ताकि कुश्ती में कोई भी महिला घायल न हो सके।

पहली बार गांव की ऐतिहासिक परम्परा को रोकना मजबूरी
शिव प्रसाद कुशवाहा ने शनिवार को बताया कि कोरोना का संकट पूरा देश झेल रहा है। जनपद में भी कोरोना महामारी के कारण महिलाओं के अनोखे दंगल की ऐतिहासिक परम्परा को इस बार रोके जाने की मजबूरी है। उन्होंने बताया कि साल भर तक गांव की महिलाओं के इस दिन का इंतजार रहता है कि दंगल में एक दूसरे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में कुश्ती लड़ेगी लेकिन परम्परा के टूटने से उनमें उदासी है।

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