झुंझुनू। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा की अब तो केंद्र सरकार व किसानों के बीच आर पार की लड़ाई है तथा किसान जीत हासिल करके ही अपने घर लौटेंगें। टिकैत नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होने कहा जिन किसानों के पास 10 वर्ष पुराने ट्रेक्टर है। वह भी बैन किए जाएंगे तथा किसान के पास सबसे बड़ी पूंजी जमीन है। जिसे बड़ी- बड़ी कंपनियां खरीद लेगी तो वो भी चली जाएगी। फिर किसान के पास क्या बचेगा। ऐसे में अब भी मौका है अपने हकों की लड़ाई के लिए मैदान में डटे रहे। टिकैत ने कहा की दिल्ली में लड़ाई चल रही है। अब यहां भी शुरू करनी पड़ेगी। केंद्र सरकार जो किसान विरोधी तीनों कानून लेकर आई है उसको रद्द करो तथा एमएसपी पर कानून बनाया जाए।
राकेश टिकैत ने कहा की झुंझुनू जिला शहीदों, क्रांतिकारियों का जिला है और कई शहीद हुए है। जिन्होंने सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन चलाया। अब भी अवसर है घरों से निकलों ये मोर्चा बंदी तोडनी पड़ेगी नहीं तो दिल्ली की सरकार सुनने वाली नहीं है। अगर अबकी बार भी मोर्चा बंदी नहीं टूटी तथा एमएसपी नहीं मिली तो हमारे बच्चें हमको माफ नहीं करेंगे। पेट की भूख का व्यापार मोदी सरकार नया कॉन्सेप्ट लेकर आई है। इन तीनों काले कानूनों के माध्यम से अगर आंदोलन फेल हुआ तो देश का किसान फेल होगा। लेकिन किसानों को किसी के बहकावे में नहीं आना है। क्योंकि ये लुटेरे है एवं इनको ही मैदान छोडकर भागना पड़ेगा। ऐसे में कानूनों की वापसी के बिना किसान घर नहीं जाएगा।
टिकैत ने कहा की शाहांजापुर बॉर्डर पर कई दिनो से किसान धरने पर बैठे है। सरकार मानने को तैयार नहीं है। ऐसे में राशन लेकर वहां पहुंचो क्योंकि आंदोलन उग्र करना पड़ेगा तथा जब तक घर नहीं जाएंगे तक तक केंद्र सरकार किसान विरोधी कानून वापस नहीं ले लेती। सभा को पूर्व विधायक अमराराम, राजाराम मील, कामरेड़ फूलचंद बर्बर, फूलचंद ढ़ेवा, विद्याधर गिल, विद्याधर ओलखा ने भी सम्बोधित किया। किसान महापंचायत में पिलानी विधायक जेपी चंदेलिया, नवलगढ़ पूर्व विधायक प्रतिभा सिंह, सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने महापंचायत में मंच साझा किया लेकिन उन्हें मंच से बोलने का मौका नहीं मिल पाया। (एजेंसी, हि.स.)
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