टोरंटो। कनाडा(Canada) के लोगों ने सोमवार को चुनाव(Election) में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Prime Minister Justin Trudeau) की लिबरल पार्टी (liberal Party) को जीत(Win) दिलाई है लेकिन अधिकतर सीटों पर बड़ी जीत की उनकी मंशा पूरी नहीं हो पाई है। लिबरल पार्टी (liberal Party) ने किसी भी पार्टी की तुलना में सबसे अधिक सीटें हासिल (get the most seats) की हैं। ट्रूडो ने 2015 के चुनाव में अपने दिवंगत पिता एवं पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो की लोकप्रियता का सहारा लिया और चुनाव में जीत हासिल की थी। फिर पार्टी का नेतृत्व करते हुए पिछले दो बार के चुनाव में उन्होंने अपने दम पर पार्टी को जीत दिलाई।
बहुमत मिलने की उम्मीद कम
लिबरल पार्टी 148 सीट पर आगे है जबकि कंजरवेटिव पार्टी 103 सीटों पर आगे है, ब्लॉक क्यूबेकोइस 28 और वामपंथी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी 22 सीटों पर आगे है। फिलहाल ऐसा प्रतीत नहीं होता कि ट्रूडो पर्याप्त सीटें जीत पाएंगे और अन्य पार्टियों के सहयोग के बिना किसी कानून को पारित करा पाएंगे। लेकिन वह इतनी सीटें जरूर जीत जाएंगे उन्हें पद से हटाने का खतरा नहीं रहेगा।
विपक्ष ट्रूडो पर अपने फायदे के लिए समय से दो साल पहले चुनाव कराने का आरोप लगाता रहा है। ट्रूडो ने दावा किया था कि कनाडा के लोग महामारी के दौरान कंजरवेटिव पार्टी की सरकार नहीं चाहते। कनाडा वर्तमान में दुनिया के उन देशों में शामिल है जिसके अधिकतर नागरिकों का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है।
असर डाल सकते हैं भारतीय मुद्दे
कनाडा में इस बार भारतीय मूल के 49 उम्मीदवार चुनावी दौड़ में शामिल हैं। 2019 में हुए पिछले चुनाव में यह संख्या करीब 50 थी। तब 20 भारतवंशी संसद पहुंचे थे। इनमें 18 सिख नेता शामिल थे। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी 36 सदस्यीय कैबिनेट में चार भारतवंशी सांसदों को मंत्री के तौर पर जगह दी थी। इनमें तीन सिख और एक हिंदू नेता भी शामिल थीं। ऐसे में भारतीय मुद्दे भी इन चुनावी परिणामों पर खासा असर रखते हैं।
25 प्रतिशत हैं भारतीय
कनाडा में सबसे अधिक भारतीय ही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा की कुल जनसंख्या के करीब 25 प्रतिशत भारतीय वहां बसे हैं। 2019 में जस्टिप ट्रूडो ने 3.4 लाख लोगों को स्थायी निवासी का दर्जा दिया था। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो को सबसे ज्यादा लाभ भारतीय समुदाय से ही होने की संभावना है।