व्‍यापार

ई-कॉमर्स कंपनियों पर CCI के छापे, कुछ खास विक्रेताओं को ज्यादा रियायत देने का है आरोप

नई दिल्ली। अमेजन और वॉलमार्ट (Amazon and Walmart) की कंपनी फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उत्पाद बेच रहे प्रमुख विक्रेताओं के ठिकानों पर बृहस्पतिवार (Thursday) सुबह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने छापे मारे। यह छापे दिल्ली और बेंगलुरू (Bangalore) में अमेजन के दो और वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट के कई विक्रेताओं के यहां पड़े।

आरोप है कि दोनों कंपनियों ने अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (online platform) पर इन विक्रेताओं को अनैतिक सुविधाएं देकर पक्षपात किया, जिससे वे बाकी विक्रेताओं से ज्यादा उत्पाद बेच पाए। इन आरोपों को बाजार की स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा के खिलाफ मानते हुए जनवरी 2020 से आयोग जांच कर रहा है।

अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारतीय खुदरा विक्रेताओं ने कई आरोप लगाए थे। इनके अनुसार बड़े विक्रेताओं को खास तरजीह मिलती है, समान उत्पादों को कम कीमत पर बेचा जाता है, ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट्स पर जमा हुए ग्राहकों की खरीदारी की आदतों से जुड़े डाटा से भी उन्हें मदद देती हैं।



विक्रेताओं के साथ अमेजन की कारोबारी हिस्सेदारी भी
अमेजन के विक्रेताओं क्लाउडटेल और अपारियो के यहां छापे पड़े हैं। दोनों के कारोबार में अमेजन की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी है। हालांकि कंपनी ने अब तक आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। पिछली बार उसने कहा था कि अमेजन सभी विक्रेताओं को बराबर मानती है, किसी को तरजीह नहीं देती।

क्यों बढ़ा घपले का शक
4,00,000 विक्रेता अमेजन पर 2019 में अपना सामान बेच रहे थे
35 विक्रेता कुल दो-तिहाई बिक्री कर रहे थे, दो-तिहाई में भी 35 प्रतिशत बिक्री अकेले क्लाउडटेल व अपारियो की थी
पिछले साल अपनी छवि बचाने के लिए अमेजन ने बताया कि मई 2022 के बाद क्लाउडटेल उसके यहां विक्रेता नहीं रहेगा

अब तक खुलासा…
अमेजन के अंदरूनी दस्तावेज बताते हैं कि कुछ खास विक्रेताओं को कई वर्षों से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वरीयता मिली। क्लाउडटेल इनमें शामिल है। इसके लिए भारत के कानून तोड़े गए। विक्रेताओं को ई-कॉमर्स फीस में छूट मिली, बड़ी टेक कंपनियों के उत्पाद एक्सक्लूसिव बेचने के लिए विशेष डील करवाने में भी अमेजन ने मदद दी।

सीसीआई की सक्रियता अहम
सीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि एजेंसी तब तक ऐसी कार्रवाई नहीं करती जब तक मामला किसी बड़े कार्टल से न जुड़ा हो। ताजा कार्रवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कंपनियां अमेजन से जुड़ी हैं। इसके जरिए सीसीआई उस जटिल कारोबारी प्रक्रिया को समझ रही है, जिसे लेकर आरोप लगाए गए। यह आयोग के लिए भी बिलकुल नया क्षेत्र है।

सोशल मीडिया व टेक कंपनियों को संसदीय समिति भेजेगा समन
वित्त मामलों पर बना संसदीय समिति विश्व की प्रमुख टेक, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स कंपनियों को समन भेजा जाएगा। इसके जरिए इनकी प्रतिस्पर्धा संबंधी नीतियों के बारे में पड़ताल और पूछताछ होगी। इन कंपनियों में एपल, गूगल की मालिकाना कंपनी अल्फाबेट, फेसबुक की मालिकाना कंपनी मेटा, अमेजन, वॉलमार्ट की फ्लिपकार्ट, माइक्रोसॉफ्ट शामिल हैं। माना जा रहा है कि यह कदम एलन मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदने के लिए हो रही डील को देखते हुए उठाया गया।

ऑस्ट्रेलिया में अमेजन ने दिखाई धौंस, उत्पाद खोजने की प्रणाली साझा करने से किया इनकार
अमेजन ने ऑस्ट्रेलिया में धौंस दिखाते हुए कहा कि उसके प्लेटफॉर्म पर किसी उत्पाद को खोजने की प्रणाली कैसे काम करती है, वह नहीं बताएगा। यहां के प्रतिस्पर्धा व उपभोक्ता आयोग को उसने प्रोडक्ट सर्च एल्गोरिदम का डाटा देने से साफ इनकार कर दिया है। यह खुलासा खुद एसीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को किया।

फेसबुक-गूगल जैसा विवाद उपजने की आशंका
आयोग को जानकारी न देकर अमेजन 2021 में फेसबुक और गूगल के ऑस्ट्रेलिया की सरकार के साथ हुए विवाद जैसे हालात फिर ला सकता है। इन दोनों कंपनियों ने ऑस्ट्रेलिया में अपनी सेवाएं बंद करने की धमकी दी थी क्योंकि सरकार ने अखबारों के कंटेंट से टेक कंपनियों को हो रही कमाई पर अखबारों को रॉयल्टी देने के लिए कहा था।

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