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जाकिर नाइक के आईआरएफ पर प्रतिबंध की जांच के लिए केंद्र ने यूएपीए ट्रिब्यूनल का किया गठन


नई दिल्ली। केंद्र (Center) ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के प्रावधानों के तहत दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल की अध्यक्षता में एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण (Tribunal) का गठन किया (Constitutes) है, ताकि यह तय किया जा सके कि विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक (Zakir Naik) द्वारा स्थापित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) पर प्रतिबंध (Ban) लगाने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।


यह कदम गृह मंत्रालय (एमएचए) के 15 नवंबर के पहले के एक आदेश के बाद सामने आया है, जिसने आईआरएफ पर प्रतिबंध को पांच और वर्षों के लिए बढ़ा दिया था। गृह मंत्रालय की 13 दिसंबर की अधिसूचना में कहा गया है, “केंद्र सरकार की ओर से एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) का गठन किया गया है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. एन. पटेल शामिल हैं। इसका गठन यह निर्णय लेने के उद्देश्य से किया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गैरकानूनी एसोसिएशन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं”
इससे पहले, मलेशिया में रह रहे इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर भारत सरकार ने नवंबर में पांच साल के लिए और प्रतिबंध बढ़ा दिया था। आईआरएफ पर यह कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधियों के चलते की गई है। फाउंडेशन को पहली बार नवंबर 2016 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले महीने जारी एक अधिसूचना में कहा था कि आईआरएफ उन गतिविधियों में शामिल है, जो देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। इसके साथ ही यह संगठन शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है। गृह मंत्रालय ने कहा कि नाइक द्वारा दिए गए बयान और उनके भाषण आपत्तिजनक हैं। वह अपने भाषणों के जरिए धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा दे रहा है। नाइक भारत और विदेशों में एक खास धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है। गृह मंत्रालय ने कहा कि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उसने यूएपीए के तहत आईआरएफ पर लगाए गए प्रतिबंध को और पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है।

सरकार ने यह भी आशंका जताई है कि आईआरएफ कैडर और समर्थक सांप्रदायिक असामंजस्य पैदा करके, राष्ट्र विरोधी भावनाओं का प्रचार करके, उग्रवाद का समर्थन करके अलगाववाद को बढ़ावा देकर और ऐसी गतिविधियों को अंजाम देकर देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित कर सकते हैं, जो देश के लिए प्रतिकूल हैं। इसलिए देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए आईआरएफ पर प्रतिबंध को पांच साल और बढ़ाना आवश्यक है।
केंद्र ने आईआरएफ को पहली बार 17 नवंबर, 2016 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पांच साल की अवधि के लिए एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया था। जब पुलिस ने भारतीय मूल के विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को उसके भाषणों के माध्यम से धार्मिक समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा देने सहित उसकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था, तब 2016 में वह मलेशिया भाग गया था।

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