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केंद्र ने SC में कहा, चीन के कारण एनएच-72ए के 20KM हिस्से का चौड़ीकरण जरूरी

नई दिल्‍ली । केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) को बताया कि चीन के साथ उत्तरी सीमा पर चल रही समस्याओं के कारण गणेशपुर (Ganeshpur) और देहरादून (Dehradun) के बीच एनएच-72 ए के मौजूदा 20 किलोमीटर के हिस्से पर सड़क का चौड़ीकरण जरूरी है।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (Attorney General KK Venugopal) ने यह जानकारी सड़क के सुधार और विस्तार के लिए दी गई स्टेज-1 मंजूरी और वन्यजीव मंजूरी को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दी। याचिका में पेड़ों की कटाई और इसके लिए मंजूरी को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह एक वन्यजीव समृद्ध क्षेत्र है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पहले इस मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से संपर्क करने का निर्देश दिया था लेकिन बाद में सुनवाई करने का निर्णय लिया।

पीठ ने कहा, केंद्र सरकार ने आवेदन दिया है। ऐसे में इन दोनों के मामले को एकसाथ सूचीबद्ध करने पर विचार के लिए सीजेआई के पास भेजा जाना चाहिए।


वहीं याचिकाकर्ता सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून की ओर से पेश हुए वकील ऋत्विक दत्ता ने कहा, हम केवल पेड़ों की कटाई से चिंतित हैं। कोर्ट ने पहले तो याचिकाकर्ताओं से इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाने को कहा था।

हालांकि दत्ता ने कहा, उन्होंने एनजीटी से संपर्क किया था लेकिन एनजीटी ने उन्हें केवल तभी संपर्क करने के लिए कहा था जब राज्य सरकार की अथॉरिटी द्वारा कटाई के संबंध में आदेश दिया हो। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हर दिन पेड़ों को काटा जा रहा है। पेड़ों की पारिस्थितिक सेवाओं को देखते हुए हर पेड़ की रक्षा के लिए सभी प्रयास करने होंगे।

इस पर पीठ ने कहा, हमें दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई करनी होगी क्योंकि दोनों मामलों में फैसले एक दूसरे से जुड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट इन मामलों पर दिवाली बाद सुनवाई करेगा।

केरल से कर्नाटक जाने के लिए आरटीपीसीआर निटेगिव की शर्त के खिलाफ याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें कर्नाटक सरकार द्वारा केरल से आने वाले लोगों के लिए निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा, कर्नाटक सरकार का यह निर्णय मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं है।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है और इस तरह की शर्तें लगाने को कहीं से भी अतार्किक नहीं कहा जा सकता। क्योंकि ये व्यापक जन हित में लिया गया फैसला है इसलिए इसके खिलाफ किसी मांग पर सुनवाई नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, इस शर्त के अलावा केरल के लोगों को कर्नाटक में आने पर कोई रोक नहीं है।

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