इंदौर न्यूज़ (Indore News)

आय से अधिक संपत्ति में सीईओ को 4 वर्ष का सश्रम कारावास और 2 करोड जुर्माना, अचल संपत्ति भी राजसात करने का हुआ आदेश

इंदौर: आय से अधिक संपत्ति में मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश राकेश गोयल की कोर्ट ने आरोपी लाखन सिंह राजपूत (मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी म.प्र.) निवासी विजयनगर इंदौर को दोषी पाते हुए 4 वर्ष के सश्रम कारावास और 2 करोड रूपये जुर्माने की सजा सुनाई.

आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (ई) सहपठित धारा 13 (2) में 4 वर्ष सश्रम कारावास और 2 करोड रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया एवं अचल संपत्तियों को राज्य शासन के पक्ष मे राजसात किये जाने हेतु भी आदेश किया गया. प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के निर्देशन में विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता द्वारा की गई. अभियोजन की ओर से मामले को प्रमाणित करने के लिए कुल 44 अभियोजन साक्षीगण के कथन कराए गए थे एवं आरोपी ने अपने बचाव मे 3 साक्षीगण कथन कराए गए.


अभियोजन कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि आरोपी लाखन सिंह राजपूत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी म.प्र. के संबंध में दिनांक 11 नवंबर 2011 को गुप्त सूचना प्राप्त हुई कि आरोपी द्वारा भ्रष्टाचार कर अवैधानिक रूप से अनुपातहीन सम्पत्ति अर्जित की गई है. जिसके अंतर्गत मकान नंबर सी.एच. 82 स्कीम नंबर 74-सी, भूखंड क्रमांक-8 डी.बी./एस-3 स्कीम नंबर 78, भूखंड क्रमांक-9 डी.बी./एस-3 स्कीम नंबर 78, मकान नंबर सी.एच.-188 स्कीम नंबर 74-सी, भूखंड क्रमांक 18 योजना क्रमांक 136 की चल-अचल सम्पत्ति के अनुबंध का लेख था. उक्त सूचना पर से आरोपी के विरूद्ध जांच प्रारंभ की गई, विवेचना उपरांत अभियुक्त के कब्जे मे 4 करोड़ 20 लाख 15 हजार 942 रू की अनुपातहीन संपत्ति पाई गई जिसका आरोपी द्वारा कोई संतोषप्रद लेखा प्रस्तुत नही किया गया. इसलिए अभियुक्त के विरूद्ध उक्त धाराओ मे दिनांक 11.09.2013 को अभियोग पत्र सक्षम न्या्यालय मे प्रस्तुत किया गया, जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया.

Share:

Next Post

इंदौर के सभी थाना प्रभारियों को नए जिले में पदस्थापना होने पर कार्यमुक्त किया गया

Tue Aug 1 , 2023
इंदौर: इस वक़्त की बड़ी खबर इंदौर शहर से आ रही है, जहाँ पर इंदौर के सभी थाना प्रभारियों को नए जिले में पदस्थापना होने पर कार्यमुक्त किया गया.