मनोरंजन

सरकारी व्यवस्था और फर्ज के बीच मार्मिक जंग  ‘चट्टान’

पीढ़ी दर पढ़ी ऑडियंस की नई खेप में फ़िल्में  देखने का नज़रिया एकदम बदल गया है. अब उन्हें स्टार नहीं कंटेंट निहित फ़िल्में ही  चाहिए यही पक्की वजह रही कि उलजुलूल कंटेट वाली  और टॉप स्टारर ठगस ऑफ़ हिंदुस्तान’ (अमिताभ बच्चन, आमिर खान) शमशेरा (रणवीर कपूर) पृथ्वी राज (अक्षय कुमार ) pr जैसी फिल्मों को समूचे भारत और  विदेशों तक की ऑडियंस ने खुले तौर  पर नकार  दिया जिससे फिल्म. इंडस्ट्री की इकनोमिक साख तक गड़बड़ा गई और फिर एक बार स्टार सिस्टम की वैल्यूज गिर गई और कंटेंट वाली फिल्मों की  डिमांड ने बॉलीवुड और ऑडियंस में जोर पकड़ लिया .

लगातार बड़े बैनर्स और स्टारर फिल्मों के लगातार फ्लॉप होने वजह से नई नई टेक्नोलॉजी और कीमती कैमरे और ड्रोन्स से बढ़ते बोझ से फिल्मकारों की सोच बदली और उन्होंने मिडिल स्टारकास्ट और बढ़िया  कंटेंट वाली फ़िल्में बनानी शुरू कर दी  जिसके फलस्वरूप ‘प्यार का पंच नामा ‘कश्मीर फाइल्स’ को बॉक्स ऑफिस पर आशातीत सक्सेस मिली.

इस आंदोलनकारी कदम से  सीमित बजट और मध्यम स्टारकास्ट फ़िल्में बनने की मुहिम शुरू हो गई. रंजन सिंह, लेख टंडन और प्रकाश मेहरा जैसे दिग्गज और हुनरदार फिल्मकारों से निर्देशन शिल्प सीखने के बाद सुदीप डी. मुखर्जी ने पुलिस और प्रशानिक के बीच  हुए टकराव में सच्चाई के खातिर मर मिटने वाले पुलिस अफसर के निजी जीवन में आये उथल पुथल आदि छोटे छोटे प्रसंगों  पर आधारित कथ्य और कसी हुई स्र्किप्ट और शॉर्प डायलॉग्स पर ज़िंदगी भर याद रखी जाने वाली फिल्म बनाई है -“चट्टान” जिसमें जीत उपेंद्र और रजनिका गांगुली की मुख्य भूमिकाएं है इसके अतिरिक्त तेज सप्रू  ब्रिज  गोपाल और शिवा महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं .

सुदीप डी. मुखर्जी से यह पूछे जाने पर बतौर फ़िल्मकार बॉलीवुड में आपका क्या गोल है?

इस संदर्भ में उनका कहना है – “मैं  पूर्णत :राष्ट्रवादी हूँ मेरी बिलकुल अलग सोच है इसलिए मैं किसी का अनुसरण नहीं करता हूँ और ना चाहूंगा मर्यादित और समाज के हित में साफ सुथरी और परिमार्जन किन्तु मनोरंजक फ़िल्में बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहूँगा”.

एन. एन. गांगुली और बेला गांगुली प्रस्तुत सर्वमंगला इंटरनेशनल  और के.बी. इंटरप्राइजेज के सहयोग  से  सेवन स्टार क्रिएटिव इंटरनेशनल कृत’ चट्टान ‘की  निर्मात्री रजनिका  गांगुली हैं . कथा पटकथा संवाद नृत्यनिर्देशन , गीत -संगीत, संपादन और निर्देशन  सुदीप डी.मुखर्जी ने किया है.छायांकन राजेश कनोजिया मारधाड़ हीरा यादव और पार्श्र्व संगीत कमल सिंह भुनावत का है .

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