28 चवन्नी का 1 रुपया…है ना हिसाब में गड़बड़… मगर इंडिया (नाम) हड़पने वाले एक पैसे और दो पैसे की हैसियत रखने वाले दल भी अपने आप को चवन्नी मान रहे हैं और रुपया बना रहे हैं… और आप और हम मान रहे हैं कि जब यह रुपया बाजार में जाएगा तो यह तय है कि उसका मोल कौडिय़ों का भी नहीं रह जाएगा…पहले तो सीटों के बंटवारे में ही तूफान नजर आएगा… इकन्नी-दुअन्नी दल अपना चवन्नी का हिस्सा मांगने के लिए जोर लगाएगा और बाजार में आने से पहले ही रुपया ढह जाएगा… सीटों का बंटवारा हो भी जाएगा तो समझौता करने वाले दल का नेता बागी हो जाएगा…और बागी नहीं भी होगा तो उसे बागी बनाकर खड़ा कर दिया जाएगा..समझौते की जाजम बिछाने वाले यह सारे दल मोदी के दलदल से बाहर आने के लिए जितना जोर लगाएंगे उतना धंसते जाएंगे… क्योंकि यह सिद्धांतों की नहीं, सत्ता की जंग है…यह ईमानदारों की नहीं, बेईमानों की जाजम है…मुद्दों की नहीं, उन मुर्दों की फौज है जिसे 10 साल के वक्त ने खोखला कर दिया… मोदी सरकार ने जिनसे पाई-पाई का हिसाब ले लिया…जांच एजेंसियों ने जिन्हें कठघरों में खड़ा कर दिया… इन दलों को क्षेत्रीयता का ऐसा अहसास कराया कि कोई अपने इलाके से बाहर नहीं निकल पाया… अब तक दिल्ली को अपनी जेब में रखने वाले यह नेता राजनीति और शक्ति की उस अपंगता के दर्द में डूबे हैं, जहां कहीं हाथ काम नहीं करता है तो कहीं पैर नहीं चलता है… कहीं दिमाग काम नहीं करता है तो कहीं सांसों की घुटन हो जाती है… अपंगता के इसी दर्द को झेलते सारे राजनीतिक दल के लंगड़े अंधों के कंधे पर बैठकर मंजिल तक जाना चाहते हैं, लेकिन रास्तों के गड्ढों को नहीं पहचानते हैं…जिसे पार करने की कोशिश में अंधे लडख़ड़ाएंगे और लंगड़े गिरे पड़े नजर आएंगे…वैसे भी देश में सत्ता कभी स्वार्थियों से सिद्ध नहीं होती…या तो मनमोहनसिंह की कुर्सी से बेईमानों की सरकार चलती है या फिर अटलजी की ईमानदारी जयललिता जैसी बेईमान की बलि चढ़ती है…केवल एक वोट से सरकार गिरने का दंश झेलने वाली भारत की जनता अब विकास की राह में भूखों की भीड़ जमाकर अपने निवाले नुचवाने के लिए शायद ही तैयार होगी…हालांकि यह सच है कि मोदी सरकार ने विपक्षियों को मिटाने और अपनी तानाशाही सोच को लादने का काम किया है और उससे जनता के एक वर्ग के बीच विचलन बढ़ा है… लेकिन देश में आज भी कोई ऐसा विकल्प नहीं है, जो बहुमत का विश्वास हासिल कर सके… इंदिराजी और राजीव गांधी के बाद से चांडाल चौकडिय़ों की मिलीभगत से चलती सरकार का दंश झेलने वाली जनता को मोदी ने न केवल राहत दिलाई, बल्कि देश को विकास की राह भी दिखाई… अब वो नेताओं को नोंचें या उनकी अमीरी को मिटाएं आम आदमी को फर्क नहीं पड़ता है…यह सच तो हमेशा सच ही रहता है कि देश अली बाबा के चोरों से नहीं चल सकता है…देश में राम राज्य हो या कश्मीर की आजादी सीमा पर सैनिक और सरहद पर सेवक ही लड़ सकता है…
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