वाशिंगटन। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी (chinese space agency) की ओर से शुरू की गई चंद्रमा की जांच (moon probe) के अंतर्गत चांग ई-5 मिशन (Chang’e 5 Mission) में 40 से अधिक वर्षों के बाद चंद्रमा की ज्वालामुखीय चट्टान volcanic rock (लावा) के पहले ताजा नमूने (fresh samples )लाए गए हैं।
चंद्रमा की चट्टानों पर किए गए इस अध्ययन के वैज्ञानिकों में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ ब्रैड जोलिफ (University of Washington expert Brad Jolliff) भी शामिल हैं, जिन्होंने चंद्रमा की ज्वालामुखीय चट्टान (volcanic rock of the moon) की आयु करीब दो अरब साल निर्धारित की है। इन अध्ययन के निष्कर्ष साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। अमेरिका के निवासी जोलिफ चाइनीज एकेडमी ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेज के नेतृत्व में चंद्रमा की चट्टानों के विश्लेषण के सह-लेखक हैं।
जोलिफ बताते हैं, चांग ई-5 मिशन चंद्रमा पर सबसे कम उम्र की ज्वालामुखीय सतहों से चट्टानों को इकट्ठा करने और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाने के लिए डिजाइन किया गया है। बेशक यह अभी नया मिशन है, लेकिन इसके निष्कर्ष काफी महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने बताया कि अपोलो मिशन में एकत्रित सभी ज्वालामुखी चट्टानें तीन अरब वर्ष से अधिक पुरानी थी। वहीं, इस युवा मिशन में मिले चट्टानों के नमूनों की उम्र दो अरब वर्ष है, जो इसके प्रभावी होने का संकेत देती है। चांग ई-5 मिशन से जुटाए गए नमूने न केवल चंद्रमा के अध्ययन के लिए बल्कि सौर मंडल के अन्य चट्टानी ग्रहों के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। जोलिफ बताते हैं, चंद्रमा स्वयं लगभग 4.5 अरब वर्ष पुराना है, लगभग पृथ्वी जितना पुराना। लेकिन पृथ्वी के विपरीत, चंद्रमा पर ऐसी चट्टानों की निर्माण प्रक्रिया नहीं होती है, जो वर्षों के ज्वालामुखी का संकेत दे। वैज्ञानिकों ने इसकी सतह पर विभिन्न क्षेत्रों की उम्र का अनुमान लगाने के लिए चंद्रमा के स्थायी ज्वालामुखी के नमूने लिए, जो इस बात पर आधारित है कि यह क्षेत्र कैसा प्रतीत होता है। इस अध्ययन से पता चला कि चांग ई-5 मिशन की मदद से लाई गई चांद की चट्टानों की उम्र दो अरब साल थी, जिसे जानने के बाद वैज्ञानिक अब अपने महत्वपूर्ण जांच उपकरणों को ज्यादा सटीक रूप देने में सक्षम होंगे। जोलिफ ने बताया कि बीजिंग की प्रयोगशाला जहां नए विश्लेषण किए गए थे, वह दुनिया में सर्वश्रेष्ठ लैब है। इसमें चंद्रमा पर मिली ज्वालामुखीय चट्टान के नमूनों को चिह्नित करने और उनका विश्लेषण करने में अभूतपूर्व काम किया है। इस विश्लेषण का दूसरा दिलचस्प निष्कर्ष यह रहा कि इससे जुटाए गए नमूने बेसाल्ट की संरचना के बारे में पता चला हैं, जिसकी मदद से चंद्रमा के ज्वालामुखी इतिहास का पता लगाना आसान हो गया है। दरअसल चंद्रमा की ज्वालामुखीय चट्टान के नमूनों को धरती पर लाने के लिए चांग ई-5 मिशन को चीन ने 24 नवंबर को लॉन्च किया गया था। करीब चार दशक बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई देश चंद्रमा की सतह की खुदाई करके ये नमूने पृथ्वी पर लाया है।