भोपाल न्यूज़ (Bhopal News) मध्‍यप्रदेश

सीएम शिवराज का ऐलान, MP में अब बोर्ड पेटर्न पर होगी 5वीं और 8वीं की परीक्षा

भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने रविवार को कहा कि प्रदेश के स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों की शैक्षणिक गुणवत्ता (academic quality) सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्कूलों के साथ सरकारी मान्यता प्राप्त सभी अशासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की जाएंगी।

उन्होंने कहा कि साथ ही इन स्कूलों में इंटरनल असेसमेंट (internal assessment) भी नियमित रूप से सुनिश्चित कराया जाएगा। सीएम शिवराज ने बीएचईएल दशहरा मैदान में स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा 15,000 नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।



क्या बोले सीएम शिवराज सिंह चौहान
हालांकि, मध्य प्रदेश के सीएम ने इन परीक्षाओं के पैटर्न के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी। चौहान ने कहा, ‘‘बच्चों का भविष्य गढ़ने का दायित्व शिक्षकों पर है। शिक्षक बच्चों को जैसा गढ़ेगें, देश और प्रदेश का निर्माण वैसा ही होगा। भारत के भाग्यविधाता विद्यार्थी हैं और विद्यार्थियों के निर्माता शिक्षक हैं। शिक्षकों के सम्मान और उन्हें प्रणाम करने के उद्देश्य से ही आज का यह कार्यक्रम किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य शासन शिक्षकों का मान-सम्मान बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘विद्यार्थियों की प्रतिभा के सम्पूर्ण प्रकटीकरण का दायित्व शिक्षकों पर है। शिक्षक नौकर नहीं, बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरू हैं। उनके मार्गदर्शन और उनके द्वारा दी गई शिक्षा का ही परिणाम होता है कि व्यक्ति, समाज के पथ प्रदर्शन में सक्षम हो पाता है।’’

“छात्रों को उनकी भाषा में शिक्षा देना आवश्यक”
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ज्ञान, कौशल और नागरिकता (Skills and Citizenship) के संस्कार देना शिक्षा के मुख्य उद्देश्य हैं और विद्यार्थियों को नागरिकता के संस्कार देना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षक यह प्रण लें कि उनके विद्यार्थी, देश भक्त, चरित्रवान, ईमानदार, कर्त्तव्य परायण, दूसरों की चिंता करने वाले, बालिकाओं और महिलाओं के प्रति सम्मान रखने वाले, माता-पिता का आदर करने वाले और असहाय की सहायता करने वाले बनेंगे। चौहान ने कहा, ‘‘विद्यार्थियों को उनकी भाषा में शिक्षा देना आवश्यक है। इससे उनकी स्वाभाविक प्रतिभा प्रकट होती है। अपनी भाषा के गौरव को स्थापित करना आवश्यक है। हमें बच्चों को अंग्रेजी के भय से मुक्त करने की दिशा में भी कार्य करना है।’’

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