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ढहते पहाड़, डूबते शहर, दरकते रास्ते.., उत्तराखंड में बेलगाम निर्माण हिमालय के लिए खतरा!

नई दिल्ली (New Delhi)। उत्तराखंड (Uttarakhand) में ढहते पहाड़, डूबते शहर, दरकते रास्ते और सूखती नदियां इशारा कर रही हैं कि हिमालय (Himalayas) के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि उत्तराखंड में हो रहा बेरोकटोक निर्माण (Unbridled construction) और दिन-ब-दिन बढ़ता पर्यटकों का दबाव (increasing tourist pressure) हिमालय के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र (fragile ecosystem) को बर्बाद कर रहा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, आए दिन आने वाली आपदाएं इस दबाव और मनमानी का नतीजा हैं। चार धाम गंतव्यों में से एक, बदरीनाथ के प्रवेश द्वार जोशीमठ में भूस्खलन की जद में जिन लोगों के घर आए हैं, वे आज तक भी खौफ में हैं और उन घरों में लौटने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड में पहले से ही जलवायु व प्राकृतिक कारणों से अस्थिर हिमालय की स्थिरता के लिए सड़क विस्तार परियोजनाएं सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरी हैं। चार धाम-बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जोड़ने वाली सड़क परियोजना को अनुभवी पर्यावरणविद रवि चोपड़ा की अध्यक्षता वाली समिति ने 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में हिमालय पर हमला की योजना बताया है।


सिफारिश के विपरीत बढ़ाई गई सड़क की चौड़ाई
समिति ने चार धाम परियोजना पर सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर रखने की सिफारिश की थी, लेकिन दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सड़क की चौड़ाई 10 मीटर करने की अनुमति दे दी गई। भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में अनुसंधान निदेशक व एसोसिएट प्रोफेसर अंजल प्रकाश ने बताया कि ऋषिकेश और जोशीमठ के बीच 247 किलोमीटर लंबी सड़क के साथ 309 बार भूस्खलन की वजह से सड़क बंद हुई।

इसे प्रति किलोमीटर के हिसाब से विभाजित करें, तो हर किमी पर औसतन 1.25 बार भूस्खलन हुआ है। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि पहाड़ों की अपनी वहन क्षमता है, वे एक समय में सीमित लोगों को ही अपना सकते हैं। सीमा से ज्यादा लोग पहाड़ों पर पर्यटन से ज्यादा दबाव बढ़ाते हैं।

पर्यटकों की आवक नियंत्रित करना जरूरी
पर्यावरण कार्यकर्ता अतुल सती कहते हैं, चार धाम यात्रा के लिए राज्य में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या पर उत्तराखंड सरकार का निर्णय गंभीर चिंता का विषय है। पहले चार धाम आने वाले तीर्थयात्रियों का दैनिक कोटा तय था। यमुनोत्री के लिए प्रतिदिन 5,500 तीर्थयात्री, गंगोत्री 9,000, बद्रीनाथ 15,000 और केदारनाथ 18,000 तीर्थयात्री जाते थे लेकिन, अब यह दैनिक सीमा खत्म कर दी गई है।

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