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Collegium Dispute: “अप्रिय” निर्णय लेने के लिए न करें मजबूर, SC की केन्द्र को चेतावनी

नई दिल्ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाई कोर्ट के जजों (high court judges) की पदोन्नति और तबादले के लिए कॉलेजियम (Collegium) की सिफारिशों को लागू करने में हो रही देरी पर सख्त नाराजगी (strong resentment) जाहिर की है। शुक्रवार को सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम की सिफारिशों पर केंद्र का निर्णय नहीं लेना बहुत परेशान करने वाला है। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने चेतावनी दी कि सरकार के कदम की वजह से उसे “मुश्किल” और “अप्रिय” निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की खंडपीठ ने एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी से कहा, “यह हमें परेशान कर रहा है। यह बहुत ही गंभीर है, किसी भी अन्य चीज से ज्यादा गंभीर है। हमें एक कठिन निर्णय लेना होगा। हमें कड़ा रुख अपनाने के लिए मजबूर न करें।” अटॉर्नी जनरल ने मामले में 10 दिनों का समय मांगा था।


अदालत ने कहा कि किसी भी तरह की देरी चाहे वह “प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाई या दोनों में हो, सुखद नहीं हो सकती है।” उन्होंने यह भी कहा कि और देरी होने की स्थिति में, उच्च न्यायालयों के जिन न्यायाधीशों का तबादला किया जाना है, उन्हें न्यायिक कार्य नहीं दिया जा सकेगा।

शीर्ष अदालत ने 6 जनवरी को पिछली सुनवाई में कहा था कि न्यायाधीशों के तबादले के मामले में सरकार की बहुत सीमित भूमिका है और निर्णय लेने में उसकी ओर से देरी से ऐसा आभास हो रहा है कि तीसरे पक्ष के स्रोत हस्तक्षेप कर रहे हैं।

इसके बाद केंद्र ने आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा पिछले साल दिसंबर में की गई सिफारिश को जल्दी ही मंजूरी दी जाएगी। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ से कहा कि इन पांच नामों की नियुक्ति का आदेश (वारंट) रविवार तक जारी हो सकता है।

कॉलेजियम ने पिछले साल 13 दिसंबर को सर्वोच्च अदालत में पदोन्नति के लिए पांच न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की थी। इनमें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी. वी. संजय कुमार, पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मनोज मिश्रा शामिल हैं।

बाद में 31 जनवरी को प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नत करने के लिये केंद्र को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार के नामों की सिफारिश की।

शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश (सीजीआई) समेत 34 न्यायाधीशों के स्वीकृत पद हैं। वर्तमान में शीर्ष अदालत 27 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है। पीठ उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से कथित देरी से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।

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