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खींचतान में कांग्रेस का हो रहा बंटाढार, अब तक 26 भाजपा में, दीपावली बाद दो विधायक भी छोड़ सकते हैं दामन

इंदौर। प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के बीच मची खींचतान का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है। रविवार को बड़वाह विधायक सचिन बिरला समेत अब तक 26 विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। माना जा रहा है कि दीपावली बाद भी मालवा के कम से कम दो विधायक भाजपा का दामन थामने वाले हैं। नेताओं का कहना है कि यदि नाथ और सिंह में ऐसी ही खींचतान मची रही तो कांग्रेस को आगे और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बिरला आज कल में पद से इस्तीफा देंगे और फिर यहां भी उपचुनाव होगा। 2018 में कांग्रेस ने 114 स्थानों पर जीत हासिल की थी और 15 साल बाद सरकार बनाई थी। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे और उन्हें बसपा के दो, सपा के एक सहित चार निर्दलीय सदस्यों का समर्थन भी मिला था। वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा प्रत्याशी नहीं बनाने पर उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली, जिनके साथ 22 अन्य विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी। कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा। फिर चार और सदस्यों ने भी पार्टी का साथ छोड़ा। दो का निधन हो गया, जिसके बाद नवंबर माह में 28 सीटों पर उपचुनाव हुए।

भाजपा ने 19 और कांग्रेस ने नौ सीटें जीतीं। फिर दमोह में भी उपचुनाव हुआ, जहां से कांग्रेस विधायक राहुलसिंह लोधी ने भाजपा का कमल थाम लिया था, लेकिन यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस के अजय टंडन करीब 17 हजार वोटों के अंतर से विजयी रहे। इससे ऐसा लगा कि कांग्रेस ने फिर नई जान आ गई है, लेकिन इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह के बीच तनातनी की खबरें आने लगीं। नाथ ने हरसंभव कोशिश की कि सिंह किनारे लग जाएं। उन्होंने तो उपचुनावों के बाद साफ शब्दों में कह भी दिया था कि उन्हें सिंह ने भरोसे में रखा और मैं उनकी बातों में आ गया, अन्यथा मेरी सरकार नहीं गिरती। बहरहाल, विधानसभा में अभी भाजपा के 125 और कांग्रेस के 95 सदस्य ही हैं। ताजा चल रहे तीन विधानसभा के उपचुनावों के नतीजों पर इसमें घटबढ़ होगी।


ये दे चुके इस्तीफा : सिंधिया के साथ प्रद्युम्नसिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्रसिंह सिसोदिया, गोविंदसिंह राजपूत, डॉ. प्रभुराम चौधरी, तुलसीराम सिलावट, एदल सिंह कंषाना, रघुराजसिंह कंषाना, गिर्राज डंडोतिया, कमलेश जाटव, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, रक्षा संतराम सनौरिया, जसमंत जाटव, सुरेश धाकड़, जजपाल सिंह जज्जी, बृजेंद्रसिंह यादव, बिसाहूलाल सिंह, मनोज सिंह पटेल, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, हरदीप सिंह डंग, प्रद्युम्न सिंह लोधी, सुमित्रा देवी कास्डेकर, नारायण पटेल और राहुल सिंह ने इस्तीफा दिया था।

अब तक हो चुके 31 उपचुनाव : छिंदवाड़ा, झाबुआ, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, मेहगांव, गोहद, ग्वालियर, डबरा, भांडेर, करैरा, आगर, हाटपीपल्या, मांधाता, बदनावर, सांवेर सहित 31 सीटों पर अब तक उपचुनाव हो चुके हैं। छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव विधायक दीपक सक्सेना के मुख्यमंत्री कमल नाथ के लिए स्थान रिक्त करने की वजह से हुआ था। जबकि, भाजपा के गुमान सिंह डामोर ने रतलाम संसदीय क्षेत्र से निर्वाचन होने के कारण विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वे झाबुआ विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे।

कांग्रेस का भविष्य अधर में : राजनीतिक क्षेत्रों में कहा जाने लगा है कि नाथ-सिंह की खींचतान से कांग्रेस का भविष्य अधर में है। नाथ की कोशिश है कि प्रदेश कांग्रेस पर सिंह हावी न हों जबकि सिंह चाहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस में फैसले उनकी मर्जी से हों। वे खंडवा से अरुण यादव को टिकट देना चाहते थे, लेकिन नाथ ने ऐसा नहीं होने दिया। वे यादव द्वारा सरकार गिरने का जिम्मेदार उन्हें ठहराने के ट्विट से नाराज थे। ऐसे और भी फैसले हैं जिन पर सिंह को ऐतराज है। उधर, नाथ की मुसीबत ये है कि वे पार्टी के केंद्रीय मामलों में भी दखल दे रहे हैं, इसलिए प्रदेश पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

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