इंदौर न्यूज़ (Indore News)

जिले की 6 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के सामने दावेदार दिखा रहे तेवर

  • पहली बार इंदौर में भी बड़े स्तर पर बगावत
  • मान-मनौव्वल के बाद भी नहीं मान रहे, कुछ निर्दलीय लड़ेंगे तो कुछ एक-दो दिन में लेंगे निर्णय

इंदौर, संजीव मालवीय। इस बार इंदौर में भी भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में बगावतियों के तेवर थम नहीं रहे हैं। पहली बार ऐसा है कि 6 विधानसभा सीटों पर पार्टी को अपने ही तकलीफ दे रहे हैं। ऐसे में चुनावी जीत-हार का समीकरण बिगडऩा तय है। कुछ ने निर्दलीय नामांकन भरने के लिहाज से तैयारी कर ली तो कुछ ने एक-दो दिन में फैसला करने को कहा है।

भाजपा में भी इस बार टिकट घोषित होने के पहले कई स्थानों पर विरोध की स्थिति बनी, लेकिन टिकट घोषित होने के बाद सबकुछ शांत हो गया। वैसे अंदर ही अंदर कई विरोधी नाराज हैं, लेकिन पार्टी की उन पर नजर है। 3 नंबर से भाजपा नेता और हिन्दूवादी संगठन से जुड़े अखिलेश शाह ने कल अहिल्या प्रतिमा से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी और अब आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी पिंटू भले ही सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अंदरूनी तौर पर अश्विन जोशी नाराज हैं और अरविन्द बागड़ी भी।


4 नंबर में अक्षय बम जो अभी तक आक्रामक मुद्रा में थे, वे राजा मांधवानी के साथ आ गए हैं। मालिनी गौड़ का बड़े स्तर पर जो विरोध हुआ था, उसका अभी पटाक्षेप नहीं हो पाया है, क्योंकि अधिकांश विरोधी मालिनी के चुनाव कार्यालय के उद्घाटन तक में नहीं गए। पांच नंबर विधानसभा में सक्रिय नानूराम कुमावत कल चुनाव कार्यालय के शुभारंभ में पहुंचे ही नहीं। वे भी निर्दलीय चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। देपालपुर विधानसभा से राजेन्द्र चौधरी 30 अक्टूबर को नामांकन भर रहे हैं। वे बम ब्लास्ट में करीब 8 साल तक जेल में रहे। महू में रामकिशोर शुक्ला को टिकट मिल गया है, लेकिन दरबार के तेवर कम नहीं हुए हैं।

सांवेर में पिता के समर्थकों को मनाने में जुटी रीना
सांवेर विधानसभा में कांग्रेस ने प्रेमचंद गुड्डू की बेटी रीना बोरासी सेतिया को टिकट दिया है, लेकिन अपने पिता के समर्थकों को मनाना उनके लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। उन्हें टिकट दे दिया गया, लेकिन प्रेमचंद गुड्डू का टिकट काट दिया गया। यहां से दावेदार रहे बंटी राठौर और ओम सिलावट के समर्थकों को भी मनाया जा रहा है।

खड़े नहीं हो पा रहे हैं और चुनाव लडऩे का हौंसला दिखा रहे हैं
गुड्डू का स्वास्थ्य इतना खराब है कि वे खड़े ही नहीं हो पा रहे हैं। पिछले दिनों आलोट में सभा करने पहुंचे गुड्डू डायस पर आते ही गिर पड़े थे। इसके बावजूद गुड्डू निर्दलीय चुनाव लडऩा चाहते हैं। हालांकि वहां उनके समर्थक भी गिनती के बचे हैं।

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