इंदौर (Indore)। ग्रामीण क्षेत्र (countryside) की सैकड़ों आंगनवाडियां (hundreds of anganwadis) और प्री स्कूल (pre school) में बंटने वाला मध्यान्ह भोजन बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। तीन दिन से लगातार हड़ताल पर बैठे रसोइये और आंगनवाड़ी सहायिकाओं ने चार रुपए प्रति बच्चे के मान से भुगतान का विरोध करते हुए प्रदेशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी।
अब तक अपनी मांगों को लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर बैठी थीं, लेकिन अब आंगनवाडिय़ों और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइये और स्वयं सहायता समूहों ने काम बंद कर दिया है। तीन दिन से मैन्यू के अनुसार मिलने वाली खीर, पूरी, लडड्ू, दाल, चावल कुछ भी बच्चों को नहीं दिया जा रहा है। कलेक्टर कार्यालय पहुंची महिलाओं ने अपर कलेक्टर सपना लोवंशी को ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि चार रुपए प्रति बच्चे के मान से भोजन बनाने का भुगतान किया जा रहा है, जिसके कारण खाने की क्वालिटी और नाश्ता निम्न स्तर का वितरण किया जा रहा है। वहीं स्वयं सहायता समूह के नाम पर ठेकेदार भोजन सप्लाय कर रहे हैं। आंगनवाडिय़ों में बच्चों को नाश्ता बनाने की लागत राशि बढ़ाने की मांग करते हुए महिलाओं ने मांगे पूरी नहीं होने पर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
चार रुपए की जगह दस रुपए
प्रति बच्चे 3 रुपए 85 पैसे की जगह 10 रुपए प्रति बच्चे के मान से पोषण आहार का भुगतान किए जाने की मांग को लेकर महिलाओं ने बताया कि अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों के लिए पोषण आहार बनाने में खर्च अधिक आता है और सरकार इतना कम पैसा दे रही है कि रोज के खाने की भी पूर्ति नहीं की जा सकती। मध्यान्ह भोजन पकाने वाली महिलाओं ने सरकार पर अपनी ही नीति के विरोध में मेहनताना दिए जाने की शिकायत करते हुए कहा कि मजदूरी करने पर मनरेगा के तहत महिला मजदूरों को 200 रुपए का भुगतान किया जाता है, लेकिन हमें प्रतिदिन काम करने पर 66 रुपए दिए जा रहे हैं।