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कच्चे तेल से जीडीपी को लग सकता है झटका, अर्थशास्त्री आशिमा बोलीं- आर्थिक सुधार की रफ्तार अच्छी

नई दिल्ली। महामारी के बाद भारत के आर्थिक सुधार की रफ्तार अच्छी है। वृद्धि दर भी अनुमान से बेहतर है। यह आगे भी जारी भी रहेगा, लेकिन कच्चे तेल की ऊंची कीमतें अर्थव्यवस्था को ‘झटका’ दे सकती हैं।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य व अर्थशास्त्री आशिमा गोयल ने रविवार को कहा कि महंगाई अब भी केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर के अंदर बनी हुई है। आपूर्ति संबंधी हालात बेहतर होने से इसमें और नरमी आएगी।

गोयल ने कहा, अर्थव्यवस्था की उच्च वृद्धि का कारण केवल आधार प्रभाव नहीं है। 2020 में काफी गिरावट आने के बाद 2021 में भारत की वृद्धि दर कई देशों से अच्छी रही है। इसकी वजह सुधारों को जारी रखना और वृहद आर्थिक नीतियां हैं।


यूक्रेन संकट के भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पर कहा कि सुधार में निरंतरता बनी रहेगी, लेकिन क्रूड की कीमतों के लगातार उच्च स्तर पर बने रहने से वृद्धि में कुछ नरमी आ सकती है। हालांकि, अभी मौद्रिक और वित्तीय नीति में तेल की ऊंची कीमतों से लगने वाले झटकों को व्यवस्थित तरीके से बर्दाश्त करने के लिए गुंजाइश है।

वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 7.9 फीसदी
मॉर्गन स्टेनली ने कच्चे तेल में तेजी के कारण 2022-23 के लिए भारत के वृद्धि दर अनुमान को आधा फीसदी घटाकर 7.9% कर दिया है। खुदरा महंगाई के अनुमान को भी बढ़ाकर 6% कर दिया है। उसने कहा कि चालू खाते का घाटा बढ़कर जीडीपी के तीन फीसदी पर पहुंच सकता है, जो इसका 10 साल का ऊंचा स्तर होगा।

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