उज्जैन। नगर में पहली बार तापमान 45 डिग्री पार हुआ है और सड़कों पर दोपहर में सन्नाटा होता है लेकिन एक गरीब वर्ग ऐसा भी है जिसे आग उगलती गर्मी में पत्थर तोडऩा होते हैं तथा जिन्हें सराय का मजदूर कहा जाता है..सुबह 9 से लेकर शाम 6 बजे तक उन्हें जी तोड़ मेहनत करना होती है, इसके बाद ही 400 या 500 रुपए मिल पाते हैं।
उल्लेखनीय है कि शहर में भवन निर्माण और अन्य कार्यों के लिए जब किसी को मिस्त्री और मजदूरों की आवश्यकता होती है तो इनके दो ठिकाने हैं। पहला छत्री चौक तथा दूसरा फ्रीगंज की मजदूर सराय। यहां लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार पहुंचकर मजदूरों की दिहाड़ी तय कर ले जाते हैं। काम मिलने के इंतजार में मजदूर भी दोनों सरायों पर सुबह 6 बजे से पहुंच जाते है और दोपहर तक वहीं जमे रहते हैं जब तक की उन्हे दिहाड़ी ना मिल जाए। कई बार तो मजदूरों को सुबह से काम मिल जाता है लेकिन कई बार दोपहर तक इंतजार करना पड़ता है। इधर मई के महीने में शहर में से तापमान 44 से 45 डिग्री के पार चल रहा है। गर्मी के कारण दोपहर में बाजारों में सन्नाटा छा जाता है। बाजार सूने होने लगते है। लेकिन सरायों पर काम के इंतजार में यह मजदूर तेज धूप और भीषण गर्मी में भी डटे रहते है।
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