नई दिल्ली: केंद्र प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Digital Data Protection Bill) के तहत शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स (Startups) को मानदंडों का पालन करने से छूट देने पर विचार कर रहा है. यह छूट एक सीमित अवधि के लिए हो सकती है ताकि स्टार्टअप्स को अपने Business Model विकसित करने में सहायता मिल सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि अनुपालन बोझ के कारण Startups प्रभावित न हो.
छूट देने पर विचार
पीटीआई की रिपोर्ट में सोर्स के अनुसार “एमईआईटीवाई (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय) डीपीडीपी (डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन) बिल के प्रावधानों से शुरुआती चरण के स्टार्टअप को छूट देने के लिए बिल में सुधार करने पर विचार कर रहा है. सोर्स ने बताया कि यह उन मामलों में सीमित समय अवधि के लिए हो सकता है जहां वे अपना समाधान विकसित करने के लिए किसी प्रकार का डाटा मॉडलिंग इत्यादि कर रहे हों.
ड्राफ्ट में छूट का प्रस्ताव
डीपीडीपी के ड्राफ्ट में केवल सरकार द्वारा अधिसूचित डाटा एंटिटीज और डाटा प्रोसेसिंग संस्थाओं के लिए डाटा कलेक्शन, डाटा शेयरिंग, डेटा प्रोसेसिंग के बारे में जानकारी देने आदि के लिए छूट का प्रस्ताव है. पिछले हफ्ते, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि सरकार प्रस्तावित कानून के तहत नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन नहीं कर पाएगी क्योंकि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं जैसी असाधारण परिस्थितियों में ही व्यक्तिगत डाटा तक पहुंच प्राप्त होगी.
500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव
मंत्री ने कहा कि डाटा ब्रीच के मामले में बिल सरकार या संबंधित संस्थाओं को छूट नहीं देता है. सरकार ने DPDP बिल का मसौदा जारी किया है जिसमें DPDP नियमों के उल्लंघन के लिए 500 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है. विधेयक में आईटी अधिनियम से एक सेगमेंट को हटाने का भी प्रस्ताव है जो डाटा उल्लंघन से प्रभावित व्यक्तियों को मुआवजे का विकल्प प्रदान करता है.
6 प्रिंसिपल का टिकी है डाटा इकोनॉमी
कंपनसेशन सेगमेंट को हटाने का कारण के बारे में पूछे जाने पर, सूत्र ने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि लोग बिल के प्रावधान का दुरुपयोग करें और मुआवजा अर्जित करने के लिए कारोबार करें. डाटा इकोनॉमी के 6 सिद्धांतों के आधार पर, सरकार संसद के आगामी बजट सत्र में डिजिटल डाटा संरक्षण विधेयक पेश करेगी. वर्तमान में, बिल को परामर्श के लिए पब्लिक डोमेन में रखा गया है.
यह हैं वो 6 प्रिंसिपल
- पहला सिद्धांत भारत के नागरिकों के पर्सनल डाटा के कलेक्शन और यूज के बारे में बात करता है. पर्सनल डाटा का कलेक्शन और यूज लीगल होना चाहिए, उल्लंघन से सुरक्षित होना चाहिए और पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए.
- डाटा इकोनॉमी का दूसरा प्रिंसीपल उद्देश्य और उपयोग की ओर इशारा करता है. डाटा कलेक्शन एक्सरसाइज एक लीगल परपज के लिए होना चाहिए और परपज पूरा होने तक डाटा को सुरक्षित रूप से स्टोर्ड किया जाना चाहिए.
- अगला डाटा मिनिमाइजेशन है जो कहता है कि व्यक्तियों का केवल रेलेवेंट डाटा कलेक्ट किया जाना चाहिए और प्री—डिफाइन परपज ही एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए.
- चौथा सिद्धांत डाटा प्रोटेक्शन और अकाउंटबिलिटी के संबंध में है और यह कहता है कि कलेक्ट किए गए डाटा को सुरक्षित रूप से प्रोसेस्ड किया जाना चाहिए और अनॉथराइज्ड लोगों तक पहुंच के बिना सुरक्षित तरीके से कलेक्ट किया जाना चाहिए.
- पांचवां प्रिंसीपल डाटा की एक्यूरेसी के बारे में बात करता है. संग्रहीत व्यक्तियों का डेटा एक्युरेट होना चाहिए और समय के साथ अपडेट किया जाना चाहिए. व्यक्ति के पास अपने डेटा का निरीक्षण/हटाने/अपडेट करने का अधिकार होना चाहिए.
- फाइनल प्रिंसीपल डाटा ब्रीच की रिपोर्ट करने के संबंध में नियम निर्धारित करता है. डाटा ब्रीच के मामले में, इसे निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड को सूचित किया जाना चाहिए.