उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

प्रदूषण मामले को संसद में उठाने की मांग

  • सांसद फिरोजिया की शिकायत पर हुई जांच रिपोर्ट में अत्यधिक प्रदूषण पाया गया

नागदा। जनवरी 2020 में दिल्ली से जाँच दल ने प्रदूषण की जाँच की थी जिसकी रिपोर्ट आ चुकी है। आरटीआई कार्यकर्ता ने इस प्रदूषण मामले को संसद में उठाए जाने की मांग की है।
जनवरी 2020 में नई दिल्ली से आए 3 सदस्यीय केंद्रीय जांच दल द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट पूर्व रेलवे सलाहकार सदस्य एवं आरटीआई एक्टिविस्ट अभिषेक चौरसिया द्वारा सार्वजनिक किया गया। उक्त जांच सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा जनहित में नागदा शहर एवं 22 ग्राम पंचायतों में गंभीर जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण का मामला उठाने के पश्चात केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भारत सरकार एवं मधयप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल द्वारा की गई थी। उक्त जांच रिपोर्ट सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक अपीलीय प्रकरण में अभिषेक चौरसिया नागदा द्वारा प्राप्त की गई जिसे जनहित में सार्वजनिक किया गया है। श्री चौरसिया ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली 30 दिसंबर 2019 को सांसद अनिल फिरोजिया द्वारा मामले को उठाया जिसकी जांच के संबंध में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का 3 सदस्यीय जांच दल 6 जनवरी 2020 को नागदा आया था। जिसकी रिपोर्ट अनुसार दिनांक 13 मई 2020 को नागदा स्थित मेसर्स ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड (स्टेपल फाइबर डिवीजन), ग्रेसिम केमिकल डिवीजन एवं लेक्सस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33 के तहत नोटिस जारी किए गए थे7 जांच रिपोर्ट में नागदा एवं आसपास के क्षेत्र से लिए गए जल के सैंपल में कुल 6 सैंपल में अत्यधिक मात्रा में मरक्यूरी पाई गई । जिसकी मात्रा 0.0025 मिलीग्राम/लीटर से 10.0364 मिलीग्राम लीटर दर्शाई गई हैं । जो कि निर्धारित मात्रा से कई गुना ज्यादा हैं । साथ ही अत्यधिक मात्रा में लेड पाई गई, जिसकी मात्रा 0.015 मिलीग्राम/लीटर से 0.375 मिलीग्राम/लीटर दर्शाई गई हैं । जो कि निर्धारित मात्रा 0.01 मिलीग्राम से ज्यादा हैं। एल्यूमिनियम की मात्रा भी अधिक पाई गई, जिसकी मात्रा 0.04 मिलीग्राम/लीटर से 2.565 मिलीग्राम/लीटर दर्शाई गई हैं । जो कि निर्धारित मात्रा 0.03 मिलीग्राम से कई गुना ज्यादा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच रिपोर्ट में बताया गया हैं कि चंबल नदी का पानी पीने योग्य नहीं हैं। शासन द्वारा पीने योग्य पेयजल के लिए निर्धारित मानक के अनुरूप नहीं हैं । चंबल नदी मे ग्रेसिम ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से छोड़े जा रहे जल के सैंपल में अत्यधिक मात्रा में सल्फेट पाया गया हैं जिसकी मात्रा 3161 मिलीग्राम/लीटर बताई हैं जो कि मानव शरीर के अत्यधिक घातक हैं। इसके अंतर्गत यह भी बताया गया हैं जनवरी 2021 तक उद्योग द्वारा चंबल नदी में अपने ट्रीटमेंट प्लांट से पानी छोडऩा बंद कर दिया जायेगा जिसके लिए उद्योग द्वारा एक प्लान प्रस्तुत किए हैं जिसमें जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट का निर्माण किया जा रहा हैं एवं 15 करोड़ की सिक्योरिटी मनी शासन के समक्ष जमा की गई हैं । कार्य पूर्ण न होने पर नियमानुसार जनवरी 2021 तक कार्य पूर्ण नहीं होने पर उक्त राशि जब्त कर ली जाना चाहिए थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों को चेतावनी देते हुए कहा है कि आपके द्वारा अपने उद्योग का संचालन जल निवारण एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के विरुद्ध किया जा रहा हैं7 अभिषेक चौरसिया ने लोकसभा सांसद द्वारा उठाए गए मामले मे प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नागदा में एक बार फिर गंभीर प्रदूषण होने की पुष्टि हुई हैं । ऐसे मे सांसद से मीडिया के माध्यम से अनुरोध है कि नागदा शहर में उद्योगों द्वारा फैलाए गए गंभीर प्रदूषण के संबंध में जारी प्रमाणित रिपोर्ट पर लोकसभा में मामला उठाया जाए एवं प्रदूषण की मार झेल रहे नागदा एवं 22 ग्राम पंचायतों के नागरिकों को न्याय दिलवाया जाए।

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