भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

विभागों को नहीं चुकानी होगी होमगार्ड की ज्यादा फीस

  • सरकार ने नियमों में किया संशोधन

भोपाल। प्रदेश में खनिज एवं आबकारी विभाग अवैध कारोबार रोकने में नाकाम रही है। इन विभागों में बल की कमी को पूरा करने के लिए होमगार्ड जवानों को तैनात किया जा रहा है। लेकिन विभागों को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती थी। अब राज्य सरकार ने होमगार्ड नियम 2016 में संशाधन कर दिया है। जिसके तहत मप्र सरकार के विभागों को होमगार्ड के वेतन भत्तों के डेढ़ गुना 150 फीसदी भुगतान नहीं करना पड़ेगा। ज्यादा भुगतान की वजह से विभाग होमगार्ड की सेवाएं नहीं लेते थे। हाल ही में मप्र सरकार ने प्रदेश में अवैध शराब का रोकने में मदद करने के लिए 400 होमगार्ड जवानों की सेवाएं आबकारी विभाग को सौंपी हैं। आबकारी विभाग की आपत्ति के बाद गृह विभाग ने होमगार्ड नियम में संशोधन किया है। क्योंकि होमगार्ड सेवा के बदले विभागों को ज्यादा भुगतान करने की शर्त थी, जिसे हटा दिया है। हालांकि केंद्र सरकार के विभाग, केंद्र के उपक्रम, राज्य सरकार के निगम मंडल यदि होमगार्ड की सेवाएं लेते हैं तो उन्हें वेतन भत्ते का 150 प्रतिशत ही देना पड़ेगा।

इन विभागों में होमगार्ड की डिमांड
प्रदेश में होमगार्ड जवानों की संख्या 11 हजार है। इनमें से होमगार्ड बड़ी संख्या में अफसर, मंत्री, विधायक एवं सांसदों के निवास पर तैनात हैं। जबकि कुछ होमगार्ड को नियमित ड्यूटी नहीं मिलती है। ऐसे में सुरक्षा अमले की कमी से जूझ रहे आबाकारी और खनिज विभाग को होमगार्ड सेवाएं देने पर सहमति हुई है। पिछले महीने आबकारी विभाग को 400 होमगार्ड सौंपे थे। अब गृह विभाग के अनुमोदन के बाद खनिज विभाग को भी होमगार्ड की सेवाएं दी जाएंगी।

विभागों को नहीं देनी पड़ेगी राशि
गृह विभाग ने मप्र होम गार्ड नियम 2016 के नियम 29 में संशोधन राजपत्र में प्रकाशित कर दिया है। अब राज्य सरकार के विभागों में होम गार्ड तैनाती पर विभागों को कोई राशि नहीं देनी पड़ेगी। पहले राज्य सरकार के विभागों पर तैनात होम गार्ड के वेतन भत्तों के देड़ गुना (150 फीसदी) का भुगतान करने का बंधन था। अब यह बंधन राज्य सरकार के विभागों पर से समाप्त हो गया है। राज्य सरकार के निगमों, भारत सरकार के विभागों और भारत सरकार के निगमों में पूर्ववत देड़ गुना भुगतान की शर्त लागू रहेगी। प्रदेश में वर्तमान में लगभग 11,000 होम गार्ड कॉल ऑन (तैनात) हैं।

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