भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

दिग्विजय सिंह ने गौ सदन भंग कर कार्यकर्ताओं को बांटी थी चरनोई भूमि

  • गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने लगाए आरोप

भोपाल। बैरसिया में भाजपा नेत्री द्वारा संचालित गौशाला में सैकड़ों गायों की मौत का मामला सामने आने के बाद गाय पर सियासत शुरू हो गई है। इस बीच मप्र गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष और पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि दिग्विजय ने मुख्यमंत्री रहते प्रदेश के विभिन्न जिलों के 10 गौ सदन भंग कर चरनोई भूमि कार्यकर्ताओं को बांट दी थी। मेरे पास दस्तावेजी प्रमाण हैं। वे जल्दी ही इस मामले में कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।



गिरी ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने 2000 में अविभाजित मप्र में जगंलों के आसपास बनाए 10 गौ सदन को भंग कर दिया था। उन्होंने इस जमीन को वन विभाग के सुपुर्द कर दी थी। जबकि इससे लगी हुई चरनोई भूमि का बंदरबांट कर दिया था। उस समय उनके गुरू शंकराचार्य ने मना किया था कि ऐसा मत करो। गाय मूक प्राणी है, वह अपना मुकदमा नहीं लड़ सकती है। वह वाद भी प्रस्तुत नहीं कर सकती है, लेकिन दिग्विजय सिंह नहीं माने थे। गिरी ने कहा कि मेरे पास प्रमाण है कि दिग्विजय ने अपनी पार्टी के लोगों को चरनोई भूमि बांटी और उन्होंने जमीन को बेच दिया। उन्होंने कहा कि जो पाप दिग्विजय सिंह ने किया है, उसका प्रायश्चित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को करना पड़ रहा है।

20 रुपए में नहीं भरता गाय का पेट
मप्र पशु संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने कहा कि 20 रुपए में गाय का पेट नहीं भरता है। यह राशि भी कोरोना के चलते पिछले दो साल में गौशालाओं को मिलने में विलंब हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने बैरसिया में गायों की मौत की रिपोर्ट 15 दिन में विभाग से मांगी है। यह घटना कुप्रबंधन के कारण होना प्रतीत होता है। गौशाला संचालक की लापरवाही उजागर हुई है। उन्होंने कहा कि एक दिन में गाय का कंकाल नहीं बनता है। लंबे समय से लापरवाही का दुखद परिणाम है कि इतनी बड़ी संख्या में गाय मर गईं। पशु चिकित्सक क्या कर रहे थे? इसकी जांच होगी। गौशाला संचालक एनजीओ का रजिस्ट्रेशन 2003 में हुआ था। तब से अब तक कितनी शिकायतें हुई? इसकी पूरी जांच कराई जा रही है। अखिलेश्वरानंद ने बताया कि मंगलवार को आदेश दिए हैं कि प्रदेश की गौशाला संचालकों को चारे की राशि हर हाल में 15 दिन के अंदर उपलब्ध कराई जाए।

मनरेगा से दिए 900 करोड़ फिर भी गौशालाएं कुप्रबंधन की शिकार
अखिलेश्वरानंद ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश की गौशालाओं के निर्माण के लिए मनरेगा से 900 करोड़ रुपए का बजट दिया। जिसके तरह 12,500 एकड़ यानी हर गौशाला के साथ 5-5 एकड़ जमीन भी उपलब्ध कराई ताकि गाय को चारा उपलब्ध हो सके। इस तरह लेकिन यह व्यवस्था कुप्रबंधन की शिकार हो रही है। इस जमीन का उपयोग नहीं हो पा रहा है।

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