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भारत और नेपाल के बीच राजनयिक वार्ता शुरू

नई दिल्ली। भारत और नेपाल के बीच सोमवार को राजनयिक वार्ता शुरू हो गई है। काठमांडु में नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी और भारतीय राजनयिक विनय ख्वात्रा के बीच वार्ता हो रही है। वैसे तो इस बैठक का फ्रेमवर्क पहले से तय है और इसका भारत-नेपाल के बीच किसी विवाद से लेना-देना नहीं है, लेकिन मौजूदा माहौल में इसकी अहमियत बढ़ गई है। इससे पहले शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था।
नेपाल द्वारा भारत के कुछ क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाने से बिगड़े रिश्तों को ठीक करने की कवायद के बीच आज दोनों देश बातचीत की टेबल पर बैठने जा रहे हैं। हालांकि, यह बातचीत नेपाल के नए नक्शे या सीमा के मुद्दे पर नहीं होगी। फिर भी विशेषज्ञ इसे रिश्तों में आई तल्खी को कम करने की दिशा में बड़ी पहल मान रहे हैं।
भारत के राजदूत की अगुआई में बातचीत
भारत और नेपाल ने 2016 मे जॉइंट ओवरसाइट मैकनिजम बनाई थी जिसके तहत ही आज दोनों देशों के बीच बातचीत होनी है। यह बातचीत नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी के बीच होगी। ये दोनों भारत-नेपाल जॉइंट ओवरसाइट मैकनिजम के संयुक्त अध्यक्ष हैं।
यह है मीटिंग का मुद्दा
खबरों के मुताबिक, नेपाल में भारत के सहयोग से चल रही परियोजनाओं को पर चर्चा इस मीटिंग का मुख्य विषय है और इसमें सीमा विवाद को लेकर कोई बातचीत नहीं होगी। ध्यान रहे कि भारत-नेपाल जॉइंट ओवरसाइट मैकनिजम की आखिरी मीटिंग पिछले वर्ष जुलाई महीने में हुई थी।
पिछले साल से बदल गया नेपाल
पिछले वर्ष भारत ने अपने नए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के नक्शे में कालापानी रीजन को शामिल किया तो नेपाल सरकार ने इस पर आपत्ति जताई और उसे नेपाल का हिस्सा बताया। मई में जब भारत ने लिपुलेख तक जाने वाली सड़क का उद्घाटन किया तो नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इस वर्ष जून महीने में नेपाल की संसद ने देश के नए नक्शे को पारित कर दिया जिसमें भारतीय क्षेत्रों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल कर लिया गया। भारत ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि नेपाल का इन इलाकों पर दावा बिल्कुल आधारहीन है। भारत के साथ रिश्ते खराब करने में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की खास भूमिका रही जिन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या तक को नकली बता दिया। बाद में गौतम बुद्ध के मुद्दे पर भी विवाद हुआ जब भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन्हें भारत के सबसे बड़े चर्चित आदर्शों में एक बताया। इस पर नेपाल ने कहा कि गौतम बुद्ध भारत के नहीं नेपाल के थे।

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