नई दिल्ली: साल का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली (Diwali 2023) इस बार 12 नवंबर को मनाया जाएगा. कहते हैं कि इसे न सिर्फ हिंदू बल्कि ये बौद्ध, जैन और सिख समेत दूसरे धर्मों के लोग भी धूमधाम से मनाते हैं. सनातन धर्म (eternal religion) में इस पर्व का खास महत्व है क्योंकि भगवान राम (lord ram) इस दिन 14 वर्ष के वनवास के बाद अपने घर अयोध्या लौटे थे. पौराणिक कथाओं (mythology) के अनुसार पूरे अयोध्या को जलते हुए दीपक की रोशनी (lamp light) से जगमगा दिया गया था. तभी से दीपावली को रौशनी का त्योहार तक माना जाता है. भारत में लोग अपने-अपने तरीकों से दिवाली का जश्न मनाते हैं.
भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं जहां का दिवाली सेलिब्रेशन पूरे भारत में चर्चित है. यहां दिवाली को मनाए जाने की परंपरा और संस्कृति बेहद अलग है. यहां हम आपको इन्हीं जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं. भारत की धार्मिक नगरी वाराणसी की दिवाली बेहद शानदार होती है. दिवाली के दौरान ये जगह दीपों और लाइट्स से सजी हुई नजर आती है. पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के बाद यहां के पारंपरिक कपड़ों और मिठाइयों का स्वाद लेने की बात ही अलग होती है. लंबे समय तक रुकने वाले यहां दिवाली के बाद भी कई दूसरे कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकते हैं. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है.
मैसूर में अमूमन हर त्योहार की धूम बेहतरीन रहती है. यहां का दशहरा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. लेकिन इस जगह का दिवाली सेलिब्रेशन भी बेहद शानदार होता है. यहां के पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन मैसूर पैलेस को दिवाली के दौरान खूबसूरत लाइट्स से सजा दिया जाता है. ये नजारा दिल को छू लेने वाला होता है.
सुनहरी लाइट्स से सजे गोल्डन टेंपल का नजारा शानदार लगता है. ऐसा माना जाता है कि छठे गुरु हरगोबिंद के जेल से रिहा होने पर सिख धर्म में दिवाली का जश्न मनाया गया. ऐसा माना जाता है कि वे 1629 में जेल से रिहा हुए थे. यहां कि दिवाली इसलिए खास होती है क्योंकि गोल्डन टेंपल की आधारशिला 1577 में रखी गई थी.
नवरात्रि के साथ ही बंगाल में त्योहारों की धूम शुरू हो जाती है. यहां दुर्गा पूजा की धूम ज्यादा रहती है पर दिवाली का जश्न भी काफी अच्छा होता है. कोलकाता में देवी काली की पूजा करके दिवाली मनाई जाती है. इस दौरान यहां मौजूद काली माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई रहती है.
भारत में गोवा को चिल माहौल के लिए पसंद किया जाता है. पर इस राज्य के दिवाली का जश्न भी अनोखा होता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. इस खुशी में एक कंप्टीशन का आयोजन किया जाता है औऱ चतुर्थी पर नरकासुर के पुतले तक जलाए जाते हैं और ऐसा दिवाली से एक दिन पहले किया जाता है.
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