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दर्जनों गांवों को नहीं मिला सिंचाई का पानी, लाखों रुपये की फसल बर्बाद, जानें वजह

मथुरा: इस समय खेतों में आलू, सरसों और गेहूं की खेती लहलहा रही है. लेकिन रजवाहा और बम्बे सूखे पड़े हुए हैं. घास और खरपतवार से अटे पड़े रजवाहों में पानी नहीं है. हम बात कर रहे हैं मथुरा के जुलहैंदी माइनर की. गोवर्धन क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान सिंचाई के लिए जुलहैंदी माइनर पर निर्भर हैं. इन दिनों जुलहैंदी माइनर सूखा पड़ा है. काफी दिन से इसमें पानी न होने से किसान परेशान हैं. किसानों को चिंता है कि वो अपनी फसल में पानी कैसे देंगे. इन दिनों जुलहैंदी माइनर सूखा पड़ा है.इन दिनों जुलहैंदी माइनर सूखा पड़ा है.

बता दें कि अकेले जुलहैंदी माइनर से ही दर्जनों गांवों के किसान जुड़े हुए हैं. माइनर से हजारों एकड़ फसल की सिंचाई होती है. लेकिन इस समय माइनर में पानी आना तो दूर उसकी सफाई तक नहीं हुई है. किसानों का कहना है कि कब तक सिंचाई विभाग इसकी सफाई करेगा और कब माइनर में पानी आएगा कुछ पता नहीं है.


फुंकेगा लाखों रुपए का डीजल
जुलहैंदी रजवाहा में पानी न आने से अब किसान ट्यूबवेल पर निर्भर हो गया है. माइनर में पानी न आने से सिंचाई में किसान को लाखों रुपए का डीजल फूंकना पड़ेगा. रामजी लाल किसान ने बताया कि डीजल से सिंचाई करने पर सिंचाई की लागत करीब चार गुनी बढ़ जाएगी. कई किसानों ने नालों, रजवाहों और नहरों की सफाई न किए जाने के आरोप लगाए.

लाखों रुपए की फसल बर्बाद
जिला सिंचाई बन्धु संगठन के उपाध्यक्ष ने बताया कि सिंचाई विभाग ने रजवाहा व नालों की सफाई तक नहीं की है. नालों की सफाई न होने से अतिवृष्टि के समय किसानों के खेतों से पानी नहीं निकल पाया. जिससे लाखों रुपए की फसल बर्बाद हो गई और अब रजवाहों में पानी न होने से फसल पर सूखे का खतरा है. वहीं एक किसान ने नाराजगी जताई कि चुनाव आता है तो रजवाहा में पानी आता है नहीं तो रजवाहा सूखा ही पड़ा रहता है.

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