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Bandhavgarh Tiger Reserve में अब मानसून गश्त में उपयोग होगा ड्रोन

उमरिया। विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (Bandhavgarh Tiger Reserve) में मानसून का सत्र प्रारंभ हो चुका है। सभी रेंज में गश्ती पाइंट बनाकर पैदल पेट्रोलिंग दल गठित कर दिए गए हैं। हर रोज 5-6 वर्ग किमी जंगल में मानसून गश्ती होगी। पहली बार इंसान, हाथी के साथ अब ड्रोन को भी इसमे शामिल किया गया है। नौ रेंज (buffer and core) के 1536 वर्ग किमी पर 124 से अधिक बाघ व 45 जंगली हाथियों के बीच तीन महीने तक यह सुरक्षा तंत्र विशेष एलर्ट पर रहेगा। क्योंकि बरसात में घास मैदान व झाडि़या उगने पर कई बार बाघ कई दिनों तक नहीं दिखते। शिकारी भी इसका फायदा उठाकर वन्यजीव प्राणियों पर घात लगाकर हमला करते हैं। यही कारण है कि हर साल टाईगर रिजर्व में मानसून एलर्ट कर यह विशेष गश्त की जाती है।



क्षेत्र संचालक विन्सेंट रहीम ने शुक्रवार को बताया कि बांधवगढ़ में मानसून गश्त प्रारंभ हो गई है। वे स्वयं अपनी टीम के साथ मानपुर रेंज में पैदल भ्रमण पर पहुंचे। खिचकिड़ी बीट में दुर्गम पहाड़, घने जंगल, गुफाओं का निरीक्षण किया। इस दौरान मार्ग में नीलगाय मिली। भालू व तेंदुए के रहवास (गुफाएं) का जायजा लिया। कुछ जगह भौगालिक प्राकृति सुंदरता को देखते हुए नेचर वॉक को लेकर भी विचार हुआ है।
बता दें कि क्षेत्र संचालक से लेकर एसडीओ, रेंजर सभी अफसर की ड्यटी पैदल गश्त में रहती है। माह में एफडी स्तर के अफसर दो पैदल गश्त, डीडी चार, एसडीओ आठ दिन जंगल में जाते हैं। दो वरिष्ठ अफसर के अलावा अन्य निचले अधिकारियों का हर माह रूट व रोस्टर तय रहता है। बरसात सीजन में नदी, नालों में जल स्तर बढ़ जाता है। घास के मैदान में हरियाली पहले से ज्यादा हो चुकी है। यह समय वनराज के स्वच्छंद विचरण का समय है। ऐसे चुनौती पूर्ण जंगली माहौल में बाघ व इंसान के द्वंद पर पैदल गश्ती पर ही जोर रहेगा। महत्वपूर्ण कार्य के लिए हर रेंज में 149 गश्ती पाइंट बनाए गए हैं। हर रेंज में रोस्टर अनुसार रूट हुआ है। प्रत्येक दिन बीटगार्ड, सुरक्षा श्रमिक व एक अन्य सदस्य की टीम यहां 5-6 किमी में घूमेंगी। खासकार कोर 716.903 वर्ग किमी. का दायरा पर्यटन बंद होने के बाद चुनौती पूर्ण होता है।

12 वर्गकिमी. में एक बाघ का कुनबा
माना जाता है बारिश का सीजन बाघों के मैटिंग (सहवास) के अनुकूल रहता है। बाघ अपनी संतानोत्पत्ति के लिए बाघिन के संबंध एकांत में समय बिताते हैं। कई दिनों तक गश्त में लोकेट नहीं होते। बारिश में पानी और मौसम का फायदा उठाकर शिकारी पार्क में घुसने की कोशिश करते हैं। इसलिए भी मानसून अलर्ट पर वन अमला रहता है। ऐसे में इस चुनौती पूर्ण कार्य के लिए वाहन की बजाए फुट पेट्रोलिंग अहम हो जाती है। ऐसी स्थिति में वनराज को तलाशने हाथी दल की मदद ली जाती है। 278 से अधिक सुरक्षाकर्मी का यह दल हर रोज 9 रेंज के 1536 वर्ग किमी. पर अपनी पैनी नजर रखेगा। ज्ञातव्य रहे कि औसतन हर 12-15 वर्ग किमी. पर यहां एक टाईगर की मौजूदगी है।

इसके अलावा अब जंगली 45 से अधिक जंगली हाथी भी अपना स्थाई रहवास बना चुके हैं। दुर्गम क्षेत्र में उपयोग होगा ड्रोन- वन संपदा व जीवों से अटे बांधवगढ़ के जंगल में सामान्य रास्ते पानी से बंद हो जाते हैं। इसलिए वाहनों की बजाए यहां केवल पैदल पहरेदारी होती है। प्रबंधन ने मानसून गश्त के लिएपेट्रोलिंग कैम्प में दल को न्यूनतम तीन कर्मचारियों का दल एक दिन में कम से कम 5-6 किमी. रहता है। हाथी दल सुबह व पैदल दिन में तीन बार जंगल में जाते हैं। कच्ची पगड्ंड्यिों में ये लोग बाघ के पगमार्ग, विष्ठा व कैमरे आदि से ट्रेस करते हैं। इनके पास सुरक्षा के नाम केवल हाथ में डंडा, टार्च व वायरलेस जैसी सुविधा रहती है। कहीं भी अनहोनी का खतरा महसूस होने पर तत्काल वायरलेस से मैसेज वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचता है। इस बार ड्रोन का नया अस्त्र दिया गया है। इसका उपयोग गश्ती दल रोस्टर अनुसार पहाड़ी, खाई, नदी, मूवमेंट व गुफाओं में होगा।

बताया जाता है कि बाघों की संख्या 124 है। नौ रेंज जिसमें तीन बफर एवं छह कोर है। क्षेत्रफल 1536.93 वर्ग किमी है। कोर 716, बफर 820, गस्ती प्वाइंट 175, वन प्रहरी 278, वायरलैस स्टेशन 27, वाच टावर 15 तथा बैरियर 39 है।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विंसेंट रहीम ने बताया कि बांधवगढ़ में मानसून गश्त प्रारंभ कर दी है। मैंने स्वयं मानपुर के खिचकिड़ी बीट का जायजा लिया है। 149 गश्ती पाइंट में 278 से अधिक वनकर्मी, अफसरों के साथ वन्यजीवों पर नजर रखेंगे। इस बार इस कार्य में ड्रोन का उपयोग भी होगा। प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।

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