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सूखाः दुनिया के बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संकट में, 500 वर्षों में कभी नहीं बनी ऐसी स्थिति

नई दिल्ली। उत्तरी गोलार्ध (northern hemisphere) (पृथ्वी का वह भाग जो भूमध्य रेखा के उत्तर है) में गंभीर सूखा (severe drought) कैलिफोर्निया (california) के खेतों से यूरोप (Europe) और चीन (China) में जलमार्गों तक फैल रहा है। सूखे के कारण सप्लाई चेन प्रभावित (supply chain affected) हुआ है तथा खाने-पीने के चीजों के दाम बढ़ गए हैं। इस वजह से वैश्विक व्यापार प्रणाली पर भी दबाव बढ़ा है।

चीन के राष्ट्रीय जलवायु केंद्र के अनुसार, चीन के कुछ हिस्सों को काफी लंबे समय तक हीटवेव से जूझना पड़ा है। 1961 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है। हाईड्रोपावर की कमी के कारण उद्योगों में निर्माण बंद हो गया है। यूरोपीय आयोग के संयुक्त अनुसंधान केंद्र के जलवायु वैज्ञानिक एंड्रिया टोरेती ने कहा कि स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस और इटली में ऐसा सूखा पिछले 500 वर्षों में कभी नहीं पड़ा। लॉस एंजिल्स के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के अध्ययन के अनुसार, अमेरिकी पश्चिम में ऐसा सूखा 1,200 सालों में सबसे खराब है।


ला-नीना के कारण सूखा
जलवायु वैज्ञानिक सूखे का कारण ला नीना को बताते हैं। ला नीना पूर्वी प्रशांत महासागर में ठंडे पानी का चक्रीय पैटर्न(साइक्लिकल पैटर्न) है। यह हवाओं को उत्तर की ओर धकेलता है, जिससे यूरोप, अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में कम बारिश होती है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन के कारण 2000 के बाद से दुनिया भर में सूखे की संख्या में 29% की वृद्धि हुई है।

सूखा मैन्युफैक्चरिंग, पर्यटन, कृषि उद्योग को नुकसान पहुंचा रहा
इस सूखे की वजह से दुनिया के बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान हो रहा है। बिजली उत्पादन, कृषि, मैन्युफैक्चरिंग और पर्यटन उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है। कृषि पूर्वानुमान के अनुसार अमेरिका में किसानों को कपास की फसल का 40% से अधिक नुकसान होगा, जबकि यूरोप में स्पेनिश जैतून-तेल की फसल गर्म और शुष्क परिस्थितियों में एक तिहाई तक कम होने की संभावना है।

यूरोप में नदियां इतिहास में सबसे निचले स्तर पर
यूरोप में, राइन और इटली की पो जैसी नदियाँ इतिहास के सबसे निचले स्तर पर बह रही हैं। नदी के स्तर में गिरावट के कारण पूरे महाद्वीप में जलविद्युत उत्पादन घट गया है, प्राकृतिक गैस की आपूर्ति भी कम हो रही है। फ्रांस को कई परमाणु रिएक्टरों में उत्पादन कम करना पड़ा है, क्योंकि नदी का पानी जो उन्हें ठंडा करता है वह बहुत गर्म रहता है। जर्मनी बिजली पैदा करने के लिए गैस के बजाय अधिक कोयला जलाने की योजना बना रहा है, लेकिन राइन नदी के कम जलस्तर की वजह से कोयला नहीं पहुंच पा रहा है।

अगस्त में 11 इंच बारिश हुई
इस साल अगस्त की शुरुआत में देश के अधिकांश हिस्सों में 11 इंच बारिश हुई, जबकि सामान्यत: 16 इंच बारिश होती थी। कम बारिश की वजह से राइन नदी का जलस्तर इतना कम हो गया कि जर्मन निर्माताओं को निर्यात को कम करना पड़ा। लंदन में कैपिटल इकोनॉमिक्स के चीफ यूरोप इकोनोमिस्ट एंड्रयू केनिंघम ने कहा कि जर्मनी को कहीं और से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। यूएस में, कैलिफ़ोर्निया के सिएरा नेवादा पहाड़ों में बर्फ के छोटे टुकड़ों के कारण इस क्षेत्र में पानी की आपूर्ति में कमी हुई है। घरों से लेकर उद्योगों तक में पानी की कमी है। सेंट्रल वैली में वेस्टलैंड्स वाटर डिस्ट्रिक्ट के अधिकारियों का कहना है कि पानी की कमी के कारण इस साल 600,000 एकड़ कृषि भूमि में से लगभग एक तिहाई में फसल नहीं बोई जा सकी।

मध्य और दक्षिण-पश्चिमी चीन में छह प्रांतों में सूखा
मध्य और दक्षिण-पश्चिमी चीन में, अधिकारियों ने छह प्रांतों में सूखे की घोषणा की है। सिचुआन का दक्षिण-पश्चिमी प्रांत कम बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि यह बिजली के लिए जल विद्युत पर बहुत अधिक निर्भर है। बढ़ते तापमान ने एसी की मांग बढ़ा दी है, जिससे पावर ग्रिड के ओवरलोड होने का खतरा है।

एप्पल, टोयोटा जैसे वैश्विक निर्माता भी प्रभावित

प्रतिबंधों की वजह से एप्पल, डिवाइस मेकर फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड, वोक्सवैगन एजी और टोयोटा मोटर कॉर्प जैसी कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं। उर्वरक और फोटोवोल्टिक उपकरण के निर्माताओं को भी दिक्कतें हो रही हैं। टेस्ला ने शंघाई की सरकार से पर्याप्त बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए कहा है।

चीन के जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, यांग्त्जी के कुछ हिस्सों में जल स्तर अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया है। अमेरिकी और यूरोपीय जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग ने ला नीना के प्रभाव को बढ़ा दिया है। बोल्डर, कोलो में नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च के जलवायु वैज्ञानिक इस्ला सिम्पसन ने कहा कि गर्म वातावरण भूमि से अधिक नमी को सोख लेता है, जिससे सूखे का खतरा बढ़ जाता है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार ला नीना आम तौर पर 9 से 12 महीने तक रहता है, लेकिन इस बार यह एक साल से अधिक दिनों तक है। इसके कम से कम फरवरी 2023 तक चलने की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र की हाल ही में जारी जलवायु-विज्ञान रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग ने भूमध्यसागरीय क्षेत्र में सूखे का खतरा बढ़ा दिया है।

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