भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मध्य प्रदेश में खुलेंगी ई-मंडियां

  • उपज पर अग्रिम भुगतान भी ले सकेंगे किसान

भोपाल। नए कृषि कानूनों के विरोध के बीच मध्य प्रदेश में किसानों को उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए शिवराज सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र में ई-मंडी स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। भोपाल, इंदौर, उज्जैन और जबलपुर संभाग की 45 ऐसी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को चिन्हित किया गया है, जहां या तो गोदाम की सुविधा है या फिर इतना स्थान उपलब्ध है कि गोदाम बन जाए। इन जगहों पर तीन साल में ई-मंडी स्थापित कर किसानों का पंजीयन किया जाएगा। छोटी जोत के किसानों की उपज की ग्रेडिंग कराकर बड़ा ढेर (लाट) बनाया जाएगा। इंटरनेट के माध्यम से नमूना बताकर कीमत तय की जाएगी। यदि कीमत से किसान संतुष्ट होते हैं तो सौदा हो जाएगा, अन्यथा उसे रोककर दोबारा प्रक्रिया की जाएगी। इस अवधि में किसान को यदि राशि की जरूरत है तो उसे अग्रिम राशि भी दी जाएगी। प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में अभी तक कृषि मंडियां नहीं हैं।

व्यापारी ऑनलाइन भाव लगाएंगे
नए कानून आने के बाद आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के तहत शिवराज सरकार ने प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में ई-मंडी स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सहकारिता विभाग ने अभी 45 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का चयन किया है। इनके प्रोजेक्ट तैयार कराकर सहकारी बैंकों में ऋण मंजूरी के लिए जमा कराए जा चुके हैं। तय किया गया है कि तीन साल में अधोसंरचना का विकास कर इन मंडियों को प्रारंभ किया जाएगा। किसानों को इन मंडियों का सदस्य बनाने के लिए पंजीयन होगा। छोटी जोत (कम रकबा) वाले किसानों के समूह बनाकर उनकी उपज के बड़े ढेर बनाए जाएंगे और फिर बड़े व्यापारियों को बेचा जाएगा। व्यापारी ऑनलाइन प्रक्रिया से नमूने देखकर भाव लगाएंगे और जिसमें किसानों को फायदा होगा, उस कीमत पर फसल बेची जाएगी। इसके लिए किसानों से पहले ही सहमति पत्रक पर हस्ताक्षर लिए जाएंगे। फसल की बिक्री की योजना सीजन शुरू होने से पहले ही हो जाएगी। किसानों के पंजीयन के समय उनके द्वारा बोई जाने वाली फसल, उसके रकबे और बिक्री के लिए दी जाने वाली उपज का ब्योरा लिया जाएगा।

समितियां नहीं लेंगी कमीशन
सहकारिता विभाग के संयुक्त आयुक्त अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि नीतिगत निर्णय के बाद 45 समितियों के ई-मंडी प्रोजेक्ट को बैंक ऋण के लिए जमा किया जा चुका है। ई-मंडी व्यवस्था में किसानों को यह सुविधा देंगे कि वे अपनी उपज को अपनी मर्जी से अपनी पसंद के भाव पर बेच सकेंगे। समितियां इस काम के लिए कमीशन नहीं लेंगी। खर्च की पूर्ति के लिए फीस ली जाएगी। यदि उपज का उचित भाव नहीं मिलता है तो फसल को गोदाम में ही सुरक्षित रखा जाएगा। इसके एवज में किसानों को गोदाम में रखे माल पर जिस तरह राशि लेने की पात्रता होती है, वैसे ही राशि मिल जाएगी।

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