नई दिल्ली: नए साल को लेकर लोगों के मन में नई उम्मीदें हैं लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) के मोर्चे पर यह साल चिंताजनक हो सकता है. IMF ने कहा है कि साल 2023 ग्लोबल इकॉनमी के लिए सबसे बुरी मंदी का संकेत दे रहा है. इस मंदी के लिए सबसे बड़े जिम्मेदार के तौर चीन (China) अमेरिका (America) और यूरोपीय देश (European Countries) हो सकते हैं और इससे बेरोजगारी से लेकर मंहगाई तक की दिक्कतें बढ़ेंगी. हालांकि उन्होंने इस मामले में रूस यूक्रेन युद्ध (russia ukraine war) को भी मंदी का एक अहम कारण माना है.
दरअसल, IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने एक बातचीत के दौरान कहा है कि नया साल पिछले साल की तुलना में कठिन होने जा रहा है, जिसे हम पीछे छोड़ गए हैं क्योंकि तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ – अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन- सभी में एक साथ धीमापन देखने को मिल रहा है औऱ ये देश आर्थिक तौर पर मुसीबतों का सामना कर रहे हैं.
एआईएमएफ चीफ जॉर्जीवा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर कहा, “40 वर्षों में पहली बार 2022 में चीन की वृद्धि वैश्विक वृद्धि के बराबर या उससे कम रहने की संभावना है.” इसके अलावा, आने वाले महीनों में अपेक्षित COVID संक्रमणों का एक दौर चीन की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है जिसका सीधा असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी होता नजर आएगा.
जॉर्जीवा ने कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अलग खड़ी है और परेशानियों से बच सकती है जिससे दुनिया की एक तिहाई अर्थव्यवस्थाओं के प्रभावित होने की संभावना है. उन्होंने कहा है कि अमेरिका मंदी से बच सकता है, क्योंकि हम यहां लेबर मार्केट को काफी मजबूत देखते हैं और उसमे अमेरिका को खासा नुकसान होता हुआ नहीं नजर आएगा.
बता दें कि अक्टूबर में IMF ने 2023 में ग्लोबल इकोनॉमिक डेवलपमेंट के लिए नया अनुमान जारी किया था और विकास दरों में कटौती की बात दोहराई थी. आईएमएफ ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ती महंगाई और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया था. इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर साफ देखा गया गया है.
दूसरी ओर चीन में भले ही जीरो कोविड पॉलिसी को हटाकर अर्थव्यवस्था फिर से खोल दी गई है लेकिनन वहां अब भी कोरोनोवायरस के मामलों में वृद्धि जारी है. अपनी नीति में बदलाव के बाद अपनी पहली पब्लिक स्पीच में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को नए साल के संबोधन में लोगों से अधिक प्रयास और एकता का आह्वान किया था.
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