
इंदौर। महू की कंस्ट्रक्शन कम्पनी पाथ इंडिया पर कल सुबह से चली ईडी ने छापामार कार्रवाई आधी रात तक जारी रही और सूत्रों के मुताबिक रात 12 बजे ईडी की टीम कुछ आवश्यक दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री सहित अन्य जानकारी अपने साथ ले गई। दूसरी तरफ अम्बानी की कम्पनी रिलायंस ने एक बयान जारी कर इस बात का खंडन किया कि उक्त छापे की कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानून सेमा के तहत की गई।
कम्पनी का कहना है कि 15 साल पहले जयपुर-रिंगस फोरलेन टोल हाईवे रोड का ठेका कम्पनी को मिला था और उसने पेटी कॉन्ट्रेक्टर के रूप में पाथ इंडिया से रोड का निर्माण करवाया। फिलहाल पाथ इंडिया के साथ कई वर्षों से कम्पनी का कोई संबंध नहीं है और बीते चार साल से इस टोल रोड को नेशनल हाईवे द्वारा देखा जा रहा है। अनिल अम्बानी की कम्पनियां इन दिनों सीबीआई, ईडी जैसी जांच एजेंसियों की गिरफ्त में है। पिछले दिनों अनिल अम्बानी से भी ईडी ने लम्बी पूछताछ की थी और कम्पनी पर आरोप लगे कि उसने 17 हजार करोड़ रुपए के बैैंक कर्ज का बेजां इस्तेमाल किया और वित्तीय गड़बडिय़ां की।
इनमें विदेशी मुद्रा कानून सेमा के तहत भी जांच की जा रही है और कल जब आधा दर्जन से अधिक ठिकानों पर ईडी ने सेबी की रिपोर्ट के आधार पर छापामार कार्रवाई की तो मीडिया में यह जानकारी भी आई कि ये छापे विदेशी मुद्रा कानून के तहत चल रही जांच के चलते मारे गए हैं। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में उक्त कार्रवाई ईडी ने कल की। इसके बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि यह मामला 2010 का है, जब कम्पनी ने जेआर टोल रोड, जो जयपुर-रिंगस हाईवे कहलाता है, का निर्माण पाथ इंडिया यानी प्रकाश एस्फॉल्टिंग्स और टोल हाईवेज को ईपीसी कॉन्ट्रेक्ट के तहत दिया था और यह एक घरेलू कॉन्ट्रैक्ट था, जिसमें किसी भी प्रकार का एक्सचेंज शामिल नहीं है और सालों पहले निर्माण खत्म हो चुका है और अब रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का पाथ इंडिया से कोई संबंध या सम्पर्क नहीं है। फिलहाल यह टोल रोड चार सालों से नेशनल हाईवे के नियंत्रण में है।
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