इंदौर न्यूज़ (Indore News)

चुनावी चंदा बचा रहा है चाय-किराना व्यापारियों को


प्रेस कॉम्प्लेक्स के लिए अलग नियम… लोकायुक्त से लेकर अदालतों में भी गोलमोल जवाब
इंदौर। प्राधिकरण ने एक ओर तो प्रेस काम्प्लेक्स के भूखंड धारियों के लिए जब्ती से लेकर भवनों में कब्जे तक के नोटिस दे डाले,वहीं कल चाय-किराना व्यापारियों को व्ययन नियम की शर्तों के तहत लीज उल्लंघन के मामले में राहत देने का निर्णय ले डाला। दरअसल चुनावी चंदे के चक्कर में प्राधिकरण द्वारा जहां चाय-किराना व्यापारियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं प्रेस काम्प्लेक्स के भूखंड धारियों को उसी नियम के तहत राहत देने के बजाए कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही है।
सालों से योजना क्र. 54 पीयू-4 में सियागंज होलसेल किराना और चाय-किराना व्यापारियों को दिए गए भूखंडों का विवाद चल रहा है। 300 से अधिक भूखंडों का आवंटन 20 साल पहले प्राधिकरण ने किया, लेकिन शर्त के मुताबिक ये व्यापारी यहां शिफ्ट नहीं हुए और धीरे-धीरे चाय-किराना के बजाय होटल, रेस्टोरेंट, जिम व शोरूम और अन्य गतिविधियां शुरू हो गईं। लोकायुक्त में भी इसकी शिकायत हुई और कोर्ट में भी मामला कई बार गया। पिछले दिनों प्राधिकरण ने 208 भूखंडों की लीज निरस्त की, लेकिन हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। अब कोर्ट के निर्देश पर प्राधिकरण बोर्ड ने फिर से सर्वे करवाने का निर्णय लिया है। इसमें शासन द्वारा जो शमन नीति बनाई गई उसके तहत भी चर्चा की जा रही है, जबकि दूसरी तरफ प्रेस काम्प्लेक्स में भूखंडों की लीज निरस्ती करने से लेकर कब्जे भी ताबड़तोड़ ले लिए गए। सूत्रों के मुताबिक चाय-किराना व्यापारियों को सालों से प्राधिकरण बड़ी होशियारी से बचाता आया है। दरअसल प्राधिकरण पर काबिज राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारियों ने भी इन व्यापारियों से सांठगांठ कर ली और एक पदाधिकारी, जो लम्बे समय तक प्राधिकरण में काबिज रहा, उसने पिछले चुनाव में 50 लाख रुपए से अधिक की राशि चुनावी चंदे के नाम पर व्यापारियों से एकत्रित की और भोपाल भिजवाई। इसके बाद जब बोर्ड नहीं रहा और अधिकारियों के कब्जे में प्राधिकरण आ गया तो उन्होंने फिर भूखंड निरस्ती की प्रक्रिया शुरू की। तब भी व्यापारियों ने चुनावी चंदे का हवाला दिया और कहा कि लाखों रुपए देने के बाद भी लीज निरस्ती की कार्रवाई कैसे हो रही है। अभी भी उक्त पदाधिकारी द्वारा इन व्यापारियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

व्ययन नियम किराना व्यापारियों के लिए तो प्रेस वालों के लिए क्यों नहीं
चाय किराना व्यापारियों को प्राधिकरण द्वारा जिस व्ययन नियम के तहत राहत दी जा रही है, उससे प्रेस काम्प्लेक्स वालों को वंचित कर कार्रवाई की जा रही है। व्ययन नियम के तहत यदि किसी प्लाट आवंटिती ने लीज नियमों का उल्लंघन किया है तो उसे गाइड लाइन के तीन प्रतिशत का भुगतान किए जाने पर लीज नवीनीकरण कर दिया जाएगा, लेकिन प्रेस काम्प्लेक्स के प्लाट आवंटनधारियों पर विभिन्न तरह के आरोप लगाकर लीज नवीनीकरण करना तो दूर उन्हें बेदखल करने तक की कार्रवाई की जा रहीहै । प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि उक्त नियम न लाभ-न हानि पर आवंटित किए गए भूखंडधारियों पर लागू नहीं होता है, जबकि हकीकत यह है कि उक्त नियम में ऐसा कोई उल्लेख नहीं है। इसके बावजूद प्रेस काम्प्लेक्स के समस्त प्लाटधारियों ने न लाभ-न हानि की दर पर प्लाट आवंटन के बाद व्यावसायिक दरों का भुगतान ब्याज सहित कर दिया। इसलिए अधिकारियों का यह तर्क भी यहां लागू नहीं होता। प्रेस वालों के साथ बर्बरता दिखाते प्राधिकरण ने प्रेस काम्प्लेक्स के चार प्लाटों पर भवन निर्माण न करने का आरोप लगाकर कब्जा तक कर लिया, जबकि इनमें से एक समाचार पत्र बिंदास का निर्माण कार्य तो स्वयं निगम और प्राधिकरण ने संगतमत होकर अवैध तरीके से तोड़ा था।

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