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इंजीनियर का कमाल, पेट्रोल से सस्ता है शैवाल से बना बायोफ्यूल

रांची। हमारे देश में इंजीनियर्स (Engineers) क्‍या कर सकते हैं यह किसी से छिपा नहीं है, हालांकि लोग आज भी सोशल मीडिया पर इंजीनियर्स (Engineers on social media) को लेकर आये दिन ये जोक्स और पोस्ट शेयर होते हैं। और इन्हें पढ़कर हम भी अपने इंजीनियर दोस्त या कजिन को टैग करना नहीं भूलते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे इंजीनियर के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में पढ़कर आपको हंसी नहीं आएगी बल्कि गर्व महसूस होगा।
वैसे तो यह सच है कि वाहनों को चलाने के लिए फ्यूल की जरूरत होती है और भारत में इसके लिए पेट्रोल और डीजल ही मशहूर हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वाहन किसी और तरह के फ्यूल से नहीं चल सकते हैं। वाहनों को बायो-फ्यूल यानी की जैव-ईंधन से चलाया जा सकता है।
बता दें कि झारखंड के इंजीनियर विशाल प्रसाद गुप्ता की, 42 वर्षीय विशाल फ्यूल बनाकर बेच रहे हैं और वह भी सामान्य डीजल से सस्ते दामों पर है न चौंकने वाली बात, क्योंकि कोई फ्यूल कैसे बना सकता है? बाइक-गाड़ी तो पेट्रोल-डीजल से चलती हैं।



2020 में इंजीनियर विशाल प्रसाद गुप्ता को इस बायोफ्यूल को बेचने के लिए पेट्रोल पंप खोलने की केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से सहमति मिली थी। मोर माइलेज के नाम से इस पंप झारखंड के रांची में शैवाल से बना बायोफ्यूल बेचा जाता है. खास बात है कि इसका इस्तेमाल पेट्रोल और डीजल इंजन वाली गाड़ियों में भी किया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक ईएम590 डीजल इंजन वाले सभी गाड़ियों में इस बायोफ्यूल का उपयोग किया जा सकता है. इसकी कीमत 78 रुपए है। पारंपरिक डीजल का भाव फिलहाल रांची में 92 रुपए प्रति लीटर है, वहीं पेट्रोल गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाला बायोएथनॉल इस पंप पर 72 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है, जबकि पेट्रोल की कीमत रांची में 99 रुपए है। विशाल गुप्ता कहते हैं कि यह न सिर्फ सस्ता है बल्कि पर्यावरण के हित में भी है।
बता दें कि बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से पढ़ाई करने वाले विशाल गुप्ता लंबे समय तक तेल और गैस कंपनियों में काम कर चुके हैं। 2018 में उन्होंने थर्ड जेनरेशन फ्यूल को लेकर रिसर्च शुरू की थी। इसी दौरान उन्हें रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ कुमार भूपति के बारे में पता चला जो शैवालों से जुड़े कई तरह के रिसर्च कर रहे थे। फिर क्या था, गुप्ता और प्रोफेसर भूपति साथ हो लिए और इस काम को अंजाम देने में लग गए और सफल भी हुए।
परिवार के ऑयल इंडस्ट्री से जुड़ा रहने और खुद लंबे वक्त तक इस इंडस्ट्री में काम करने वाले गुप्ता को मंत्रालय से मंजूरी प्राप्त करने में सिर्फ दो महीने का वक्त लगा और रांची में उनका पेट्रोल पंप खुल गया। गुप्ता वर्तमान में प्रति दिन 2000 से 25000 किलो लीटर्स तक तेल बेच रहे हैं। टाटा मोटर्स और डालमा भारत सीमेंट को उन्होंने वाणिज्यिक बिक्री भी की है। अब विशाल गुप्ता रांची नगर निगम के साथ एक करार (एमओयू) करने के लिए अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।

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