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EPFO ने ऊंचे रिटर्न के लिए निवेश नियम बदला, 6 करोड़ से ज्‍यादा कर्मचारियों पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली (New Delhi)। EPFO के 6 करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए यह जरूरी खबर है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अंशाधारकों को ऊंचे रिटर्न देने और बाजार (giving high returns and market) की अस्थिरता से अपनी आय को बचाने के लिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश की निकासी की नीति को संशोधित करने का फैसला किया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (central board of trustees) की हालिया बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की गई और बाद में इसे मंजूरी दे दी गई।

ईपीएफओ ने इसके तहत ईटीएफ की यूनिट की निकासी करने से पहले उनकी न्यूनतम होल्डिंग अवधि (minimum holding period) को चार साल से अधिक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में इन ईटीएफ की यूनिट को चार साल में भुनाया जाता है। अपने निवेश दिशानिर्देशों के तहत, ईपीएफओ इक्विटी और संबंधित निवेशों में अपनी आय का पांच से 15 फीसद के बीच निवेश कर सकता है।


इसने अगस्त 2015 में निफ्टी-50 और बीएसई सेंसेक्स पर आधारित ईटीएफ के माध्यम से इक्विटी में अपनी नई आय का पांच फीसद निवेश करने के निर्णय के बाद शेयरों में निवेश बढ़ाना शुरू किया। इसके बाद से सीमा बढ़ा दी गई है। सूत्रों का कहना है कि ईपीएफओ इक्विटी में वास्तविक निवेश को 15 फीसद की सीमा तक ले जाना चाहता है।

ईपीएफओ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीबीटी ने इसके पहले फरवरी 2018 में ईटीएफ निकासी पद्धति को मंजूरी दी थी। इसके तहत ईटीएफ इकाइयों की निकासी की अनुमति केवल उन दिनों पर दी गई थी, जब मौजूदा बाजार शुद्ध संपत्ति मूल्य (एनएवी) पिछले सात दिनों के औसत एनएवी के पांच से कम नहीं है। इसके अलावा, 15 से 20 दिनों में की जाने वाली निकासी के समय फर्स्ट इन फर्स्ट आउट (फीफो) यानी जिसमें पहले निवेश किया गया उसकी निकासी पहले की जाएगी के सिद्धांत को अपनाया गया था।

ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्राहकों के लिए 8.15 फीसद की ब्याज दर की घोषणा की, जो कि पिछले वित्त वर्ष के लिए दिए गए 8.1 फीसद रिटर्न से मामूली अधिक थी। ब्याज भुगतान के लिए, इसने कैलेंडर वर्ष 2018 में निवेश ईटीएफ इकाइयों को भुनाया और अनुमान है कि इससे 10,960 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।

सरकारी बॉन्ड से अधिक रिटर्न
ईपीएफओ ईटीएफ इकाइयों की निकासी सीमा को सरकारी प्रतिभूतियों से भी जोड़ सकता है। योजना के तहत, जिन इकाइयों को भुनाया जाना प्रस्तावित है, उनकी होल्डिंग-पीरियड रिटर्न 10 साल की बेंचमार्क सरकारी सुरक्षा से कम से कम 250 आधार अंक अधिक होनी चाहिए। एक अन्य सुझाव ईटीएफ रिटर्न को ऐतिहासिक दीर्घकालिक औसत पर मानक बनाना है। इसके तहत निकासी की जाने वाली यूनिट का होल्डिंग पीरियड रिटर्न निफ्टी या सेंसेक्स के आधार पर पिछले 10 वर्षों के औसत पांच साल के रिटर्न से ऊपर होना चाहिए। इसके अलावा छोटी अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव से निकासी के समय रिटर्न को बचाने के लिए ईपीएफओ ने निकासी को की अवधि को दैनिक आधार पर करने का भी प्रस्ताव दिया है।

पूंजीगत लाभ बढ़ाने की कवायद
विशेषज्ञों का कहना है कि संशोधनों से रिटर्न की आंतरिक दर को आसान बनाने और ईटीएफ इकाइयों को भुनाने पर पूंजीगत लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी। चूंकि ईटीएफ नियमित आय प्रदान नहीं करते हैं और इसकी परिपक्वता अवधि नहीं होती है। इसलिए ईपीएफओ समय-समय पर ईटीएफ इकाइयों को भुनाता है। इस कवायद से प्राप्त पूंजीगत लाभ को तब आय के रूप में माना जाता है और ईपीएफ अंशधारकों को आय के रूप में वितरित किया जाता है।

शेयरों में निवेश की रफ्तार धीमी
ईटीएफ इकाइयों के आवधिक निकासी और ईटीएफ में निकासी आय के केवल 15 फीसद के पुनर्निवेश के कारण, कुल ईपीएफ कॉर्पस में इक्विटी निवेश का हिस्सा धीमी गति से बढ़ रहा है। 31 जनवरी, 2023 तक इक्विटी में निवेश आय का 10.03 फीसद था और यह अनुमान लगाया गया है कि फंड के इक्विटी हिस्से को 15 फीसद अंक तक पहुंचने में पांच से छह साल लग सकते हैं। 31 जनवरी, 2023 तक, ईपीएफओ के पास लगभग 12.53 लाख रुपये के अंकित मूल्य पर निवेश था, जिसमें से संचयी रूप से 1.25 लाख रुपये इक्विटी और संबंधित निवेशों में था।

 

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