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Omicron के झटके से संभले ही थे कि Deltakrone आ गया, Corona पर वैज्ञानिकों की नई चेतावनी

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी फैले दो साल से ज्‍यादा हो चुके हैं। भारत में दूसरी लहर में डेल्‍टा प्रमुख स्‍ट्रेन था तो अब उसे पीछे छोड़कर ओमीक्रोन सबसे ज्‍यादा फैलने वाला स्‍ट्रेन बन गया है। देशभर से जीनोम सीक्‍वेंसिंग के लिए भेजे गए 95% से ज्‍यादा सैंपल्‍स में ओमीक्रोन वेरिएंट मिला है। भारत में पिछले कुछ समय से कोरोना के मामले घट रहे हैं। अगर चार हफ्ते तक केसेज स्थिर रहते हैं तो माना जा सकता है कि यहां कोरोना ‘एंडेमिक’ स्‍टेज में पहुंच रहा है।

वहीं, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगला कोविड वेरिएंट और खतरनाक साबित हो सकता है। WHO का कहना है कि अब और भी नए वैरिएंट आ सकते हैं जो ओमीक्रोन से भी ज्यादा तेजी से फैल सकते हैं। इस चेतावनी के बीच ही यूके से नया वेरिएंट मिलने की खबर आई है। डेल्‍टा और ओमीक्रोन के कॉम्बिनेशन से बना ‘डेल्‍टाक्रोन’ वेरिएंट को पहले लैब एरर समझा गया था, मगर अब इसके मामले आने से टेंशन बढ़ गई है।

भारत में ओमीक्रोन ने डेल्‍टा को पीछे छोड़ा
जीनॉमिक्‍स पर बने कंसोर्टियम INSACOG के अनुसार, फरवरी के आखिरी हफ्ते के बाद लिए गए 95% से ज्‍यादा सैंपल्‍स की जीनोम सीक्‍वेंसिंग में ओमीक्रोन वेरिएंट मिला है। एक्‍सपर्ट्स ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट जहां कई लहरों में फैला, वहीं ओमीक्रोन पूरे देश में एक साथ फैला। जनवरी में INSACOG ने कहा था कि भारत में ओमीक्रोन कम्‍युनिटी ट्रांसमिशन स्‍टेज में पहुंच गया है।


नए वेरिएंट पर वैज्ञानिकों की चेतावनी
वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगला कोविड वेरिएंट ओमीक्रोन से भी खतरनाक हो सकता है। कई देशों में केसेज घटने पर पाबंदियां हटा ली गई हैं। इस बीच, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रफेसर मार्क वूलहाउस ने कहा है कि यह नहीं पता कि कोरोना वायरस का अगला वेरिएंट कहां से आएगा।

उन्‍होंने कहा, ‘ओमीक्रोन वेरिएंट डेल्‍टा से नहीं आया। यह वायरस के फैमिली ट्री के बिल्‍कुल अलग हिस्‍से से आया। और चूंकि हम यह नहीं जानते कि वायरस के फैमिली ट्री में से कहां से अगला वेरिएंट आएगा, हमें यह पता नहीं चल सकता कि यह कितना पैथोजेनिक (खतरनाक) होगा। यह कम पैथोजेनिक हो सकता है, मगर ज्‍यादा भी।’

वारविक यूनिवर्सिटी के प्रफेसर लॉरेंस यंग भी वूलहाउस की राय से इत्‍तेफाक रखते हैं। यंग ने कहा, ‘लोगों को लगता है कि वायरस अल्‍फा से बीटा फिर डेटा और तब ओमीक्रोन के रूप में इवॉल्‍व हुआ है। ऐसा नहीं है। यह कहना कि वायरस के वेरिएंट्स कमजोर होते जाएंगे, गलत है। नया वेरिएंट ज्‍यादा खतरनाक हो सकता है।’

डेल्‍टाक्रोन क्‍या है? यूके में मिले हैं केस
यूनाइटेड किंगडम में ओमीक्रोन और डेल्‍टा वेरिएंट्स के हाइब्रिड स्‍ट्रेन ‘डेल्‍टाक्रोन’ के केसेज मिले हैं। शुरू में समझा गया कि लैब टेस्‍ट में गड़बड़ी हुई है मगर इस नए स्‍ट्रेन की अब पुष्टि हो चुकी है। अभी तक यूके के अधिकारियों ने इसकी संक्रामकता और वैक्‍सीन पर असर को लेकर कुछ नहीं कहा है।


कोरोना कब होगा आम बीमारी? 4 हफ्ते करना होगा इंतजार
कोरोना की तीसरी लहर खत्म होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। एक्‍सपर्ट कहते हैं कि देश में रोज आ रहे केस अगर 4 हफ्ते तक कम और स्थिर बने रहते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि कोरोना महामारी के बजाय एंडेमिक यानी स्थानीय स्तर की बीमारी के चरण में प्रवेश कर रहा है। मतलब यह कि जैसे दूसरी बीमारी होती हैं और उससे लोग ठीक हो जाते हैं, कुछ वैसा ही कोरोना भी बनकर रह जाएगा। यह पूरी तरह से भले ही खत्म न हो, लेकिन यह खतरनाक या कहिए जानलेवा नहीं रह जाता।

जाने माने वायरॉलजिस्ट टी. जैकब जॉन कहते हैं कि भारत में कोरोना के रोज आ रहे मामले अगर चार सप्ताह तक कम और स्थिर रहते हैं, तभी ऐसा माना जा सकता है कि कोरोना इन्फेक्शन ‘एंडेमिक’ फेज़ में प्रवेश कर रहा है। ओमीक्रोन की लहर तेजी से हल्की पड़ रही है। हो सकता है कि कुछ और दिन में हम सबसे कम मामले देखें, लेकिन इसे एंडेमिक घोषित करने के लिए चार सप्ताह तक इंतजार करना होगा।

एक्‍सपर्ट्स से राहत भरी बात भी जानिए
आने वाले महीनों में क्या उम्मीद कर सकते हैं? इसके बारे में ‘सेंटर ऑफ अडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी’ के पूर्व निदेशक जॉन कहते हैं कि इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। अनुमान है कि एंडेमिक चरण कई महीनों तक बना रहेगा और इस बात की आशंका बहुत कम है कि ओमीक्रोन से ज्यादा संक्रामक और डेल्टा से अधिक खतरनाक कोई और वेरिएंट सामने आएगा। लेकिन जैसे ओमिक्रॉन ने हैरान किया है, वैसा ही कोई और वेरिएंट हमें फिर चकित कर सकता है।

महामारी विशेषज्ञ और दिल्ली स्थित ‘फाउंडेशन फॉर पीपल-सेंट्रिक हेल्थ सिस्टम्स’ के कार्यकारी निदेशक डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि कोरोना भारत में एंडेमिक फेज में प्रवेश कर रहा है या नहीं, इसकी आम जनता के नजरिये से प्रासंगिकता सीमित है। लोगों को जोखिम के आधार पर वायरस के साथ ही रहने के नए तरीकों के अनुसार खुद को ढालना होगा।

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