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सभी को लग रहा था बेटे को बचा लेगा माफिया अतीक, लेकिन वक्त की करवट ने ऐसे बदल दिया खेल

प्रयागराज (Prayagraj)। माफिया अतीक अहमद (Mafia Ateeq Ahmed) का आपराधिक सफर खून से सना रहा है। माफिया से नेता बने अतीक ने प्रयागराज (Prayagraj) ही नहीं दूसरे प्रदेशों में भी राज किया। प्रयागराज के साथ ही पूर्वांचल के जिलों में अतीक की तूती बोलती थी। लंबे लाव-लश्कर के साथ चलने वाला माफिया एक वक्त में प्रयागराज में खौफ का दूसरा नाम बना गया था। अतीक घर में पंचायत लगती तो सुबह से ही सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटने लगती थी। यहां तक की कई सालों तक तो जेल में भी उसका दरबार लगता रहा।

उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal murder case) में उसका बेटा असद गोलियां चलाते साफ नजर आया था। अतीक और असद दोनों को पता था कि उनकी कारस्तानी सीसीटीवी फुटेज में कैद होगी फिर भी दुस्साहस को अंजाम दिया। शायद अतीक चाहता था कि लोग असद को इस तरह से गोलियां चलाते देखें और उसकी भी दहशत कायम हो जाए।


जब एसटीएफ ने भी अतीक के पूरे परिवार को शिकंजे में लिया और एक हफ्ते में दो एनकाउंटर किए तो लोगों को लगा कि माफिया अपने बेटे को बचा लेगा। शूटरों और छोटे अपराधियों की बलि ले ली जाएगी। लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि अब वह अपने किए पर पछता रहा है।

दहशत और दबंगई के लिए खासतौर पर जाना जाने वाला अतीक (Atiq) बदलते वक्त में बुरे हाल में पहुंच गया। अतीक का सबसे ज्यादा वास्ता वकीलों से ही रहा है। जिस कचहरी में अतीक के पहुंचने पर वकीलों की भीड़ उसे घर लेती थी, उसी जगह अब हालात ऐसे बदले की उस पर बोतल, जूते उछाले जाने लगे।

आक्रोशित वकील मुर्दाबाद (Down with angry lawyers) के नारे के साथ गाली-गलौज करते नजर आए। माफिया अतीक अहमद के नाम 102 मुकदमों की लंबी फेहरिस्त है। उसके खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। 44 सालों तक अतीक माफिया (Ateeq Mafia) के तौर पर दहशत का बड़ा नाम बना रहा। अब पुलिस के वज्र वाहन में वह गिड़गिड़ाता नजर आने लगा है। कचहरी और जेल में वह रोता हुआ दिखाई दिया।

पांच लाख का इनाम घोषित हुआ था
प्रयागराज में राजू पाल हत्याकाण्ड के मुख्य गवाह उमेश पाल की सरेआम हत्या कर भागे माफिया अतीक अहमद के बेटे असद अहमद व शूटर गुलाम को एसटीएफ ने गुरुवार दोपहर झांसी में दिनदहाड़े मुठभेड़ में मार गिराया। 24 फरवरी को उमेश की हत्या के बाद से दोनों फरार चल रहे थे। दोनों को उमेश पाल पर गोलियां बरसाते पूरी दुनिया ने देखा था। इन पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। अब तक उमेश पाल हत्याकांड के चार आरोपियों को अब तक मुठभेड़ में ढेर किया जा चुका है।

इधर पिता की पेशी, उधर बेटा ढेर
बुधवार को साबरमती जेल से लाए गए अतीक की प्रयागराज की कोर्ट में पेशी हो रही थी। उसी दौरान बेटा ढेर हो गया। कोर्ट में ही उसे अपने बेटे के मुठभेड़ में मार गिराये जाने की सूचना मिली। बेटे की मौत की सूचना मिलने पर वह थोड़ी देर के लिए मौन हो गया। मुठभेड़ के बाद प्रयागराज के चकिया में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया। चकिया में ही अतीक का पैतृक निवास है।

असद, गुलाम और गुड्डू के पीछे लगी थी टीमें
एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश के मुताबिक, उमेश पाल की हत्या के बाद मिले वीडियो फुटेज में असद और गुलाम गोली चलाते जबकि गुड्डू मुस्लिम बम फेंकता दिखा था। इनकी तलाश में एसटीएफ की आधा दर्जन टीमें लगाईं गई थीं। यह टीमें नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की सीमा तक इन्हें ढूंढती हुई गई थीं। एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस को कई बार असद, गुलाम और गुड्डू मुस्लिम की लोकेशन मिली लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही ये लोग फरार हो जाते थे।

दिल्ली से मिली सटीक जानकारी
कुछ दिन पहले जब अतीक के बहनोई डॉ. अखलाक और नौकर शाहरुख को पकड़ा गया तो कई नई जानकारियां मिली। इसमें ही साफ हुआ था कि अखलाक के घर पांच मार्च को आया गुड्डू मुस्लिम अलग है और असद व गुलाम एक साथ छिपे हुये हैं। तीन दिन पहले दिल्ली में पकड़े गये मददगारों ने भी यही कुबूला। इन तीनों से ही दोनों के बारे में सटीक जानकारियां मिली थीं।

अजमेर से भागे, झांसी में घेर किए गए
एसटीएफ के मुताबिक अजमेर में इनकी लोकेशन मिली थी। इस पर एसटीएफ की टीम वहां पहुंची तो ये लोग अपना ठिकाना छोड़ चुके थे। सर्विलांस की मदद से एसटीएफ इनके पीछे लगी रही और गुरुवार दोपहर टीम को पुख्ता सूचना मिली कि झांसी मुख्यालय से करीब 29 किलोमीटर दूर बड़ागांव के पास एक बाइक पर सवार असद और गुलाम भागने की कोशिश में हैं। करीब 12:00 बजे डीएसपी नवेंदू व डीएसपी विमल समेत यूपी एसटीएफ के 12 जवानों ने दोनों की घेराबंदी की। तब तक दोनों बड़ागांव से सात किलोमीटर दूर पारीछा बांध की तरफ पहुंच चुके थे।

समर्पण के लिए बोला तो फायरिंग कर दी
एसटीएफ ने इन्हें समर्पण करने के लिए कहा। इस पर बाइक पर काली टी-शर्ट पहने पीछे बैठे गुलाम ने पुलिस पर पहला फायर झोंका। जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाईं। सफेद कुर्ता पहने असद बाइक चला रहा था। घिरने पर उसने भी बाइक से उतरकर फायरिंग की। मुठभेड़ में करीब 42 राउंड गोलियां चलीं और आखिरकार दोनों मारे गए। दोनों की शिनाख्त के बाद एसटीएफ ने झांसी पुलिस को शव सौंप दिए। झांसी मेडिकल कॉलेज स्थित पोस्टमार्टम हाउस में दोनों शवों का पोस्टमार्टम चल रहा है।

जर्मन पिस्टल वॉल्थर पी-88 और ब्रिटिश बुलडॉग रिवाल्वर बरामद
एसटीएफ ने असद के पास से ब्रिटिश बुलडॉग रिवाल्वर बरामद की है। यह विदेशी रिवाल्वर है। एक बार में इस रिवाल्वर से 12 फायर किए जा सकते हैं। ब्रिटिश बुलडॉग रिवाल्वर छोटी नली वाली डबल-एक्शन रिवॉल्वर है। वेब्ले कंपनी की इस रिवाल्वर में लंबा ग्रिप फ्रेम है। 64 मिमी बैरल की इस रिवाल्वर में .442 और .450 एडम्स कारतूस लगते हैं। यह भी सेमी ऑटोमेटिक रिवॉल्वर है। असद ने इसी रिवाल्वर से एसटीएफ पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। जिसकी जवाबी कार्रवाई में असद मारा गया।

उसके साथी गुलाम के पास वाल्थर पी 88 पिस्टल थी। वाल्थर पी 88 पिस्टल बेहद खतरनाक शस्त्र है। जर्मन कंपनी वाल्थर की यह पिस्टल सेमी ऑटोमेटिक है। इसका हैंडल ड्यूराालुमिन से बना है। इसमें स्विंग बोल्ट लॉक के बजाय ब्राउनिंग सिस्टम होता है। कई यूरोपीय मुल्कों में यह सेना का शस्त्र है। यह बर्स्ट फायर करती है। उसी ने पहली गोली एसटीएफ पर चलायी और 12 राउंड फायर किए।

एसटीएफ के कमांडो ने निशाने पर लिया
एसटीएफ टीम में दो कमांडो भी मौजूद थे, जिनके पास स्वचालित हथियार थे। कमांडो ने भी जवाबी फायरिंग की जिसमें असद और गुलाम ढेर हो गए। एसटीएफ के अनुसार असद और गुलाम के पास जो अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए हैं, उन्हीं का इल्तेमाल प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या में किया गया था।

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