धूल से वाहन चालक परेशान
इन्दौर। बारिश (rain) के बाद बदहाल हुई सडक़ों (roads) के लिए निगम (corporation) ने फिर गिट्टी-मुरम (ballast-muram) बिछाने का फर्जी तरीका अपनाया है और एक सप्ताह में ही गिट्टी-मुरम सडक़ों से फिर गायब हो जाती है। फिलहाल राजबाड़ा (rajbara) से एमजी रोड (mg road) थाने तक की हालत इतनी बदतर है कि पूरे रास्ते में बिछाई गई गिट्टी-मुरम से उडऩे वाली धूल के कारण लोगों का वहां से गुजरना मुश्किल हो रहा है।
शहर की कई सडक़ों की दशा पहले से ही खराब थी और कुछ जगह ड्रेनेज और नर्मदा की लाइनों के लिए खुदाई के बाद वहां स्थिति और बदतर हो गई। बड़ा गणपति (bada ganpati) से कृष्णपुरा तक की सडक़ और इमली बाजार की सडक़ के लिए भी चल रहे निर्माण कार्यों के कारण अन्य जगह भी खुदाई के कार्य लाइनें जोडऩे के लिए किए जा रहे हैं, जिसका खामियाजा वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है। मध्य क्षेत्र की करीब 40 से ज्यादा मुख्य मार्गों की सडक़ों की दशा बदतर है और नगर निगम ने वहां पेचवर्क के नाम पर गिट्टी-मुरम फैलाना शुरू कर दी है। अब इसका परिणाम यह हो रहा है कि वाहनों से गिट्टी-मुरम उछलकर राहगीरों को लग रहे हैं। राजबाड़ा से लेकर एमजी रोड थाने तक और कबूतर खाना से लेकर गौतमपुरा, जबरन कालोनी, कलालकुई मस्जिद और अन्य मार्गों पर दो से तीन दिनों में निगम ने गड््ढे भरने के लिए गिट्टी-मुरम तो बिछा दी, लेकिन वाहनों की तेज गति के कारण उडऩे वाली धूल से दोपहिया वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। कई जगह दो दिनों में ही पूरी गिट्टी-मुरम सडक़ों पर फैल गई है और वहां गड््ढे फिर से नजर आने लगे हैं। निगम का ऐसा पेचवर्क लोगों की फिर से मुसीबत बढ़ा रहा है।
पहले डामर में गिट्टी-मुरम मिक्स कर होता था पेचवर्क
नगर निगम के कई ठेकेदारों के मुताबिक पूर्व में सडक़ों के पेचवर्क का कार्य विधिवत तरीके से किया जाता था और गिट्टी-मुरम को डामर के साथ मिक्स कर सडक़ों पर बिछाया जाता था। यह कार्य अधिकांश क्षेत्रों में रात में किया जाता था, जो सुबह तक सूख जाता था और ऐसा पेचवर्क कई दिनों तक चलता था, लेकिन अब यह बहाना बनाया जाता है कि डामर का कार्य कम होने के कारण गिट्टी-मुरम बिछाने का सिलसिला पिछले तीन, चार सालों से शुरू हो गया है। कई बार तो झोनलों पर गिट्टी-मुरम बिछाने के नाम पर बड़े पैमाने पर हुई गड़बडिय़ां भी सामने आई हैं।