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उद्धव से छूटा रिमोर्ट, शिंदे को कमान, कैसे होगा फडणवीस को फायदा, जानिए

मुंबई । महाराष्‍ट्र में पिछले डेढ़ माह से चल रही सियासी उठापटक का खेल (political game) गुरूवार शाम को समाप्‍त हो गया और नई सरकार का गठन भी हो गया, हालांकि अभी विधानसभा में सरकार (government in the assembly) को बहुमत साबित करना होगा इसके बाद भी असली सरकार (Sali Sarkar) का चेहरा सामने आाएगा।

आपको बता दें कि पिछले ढाई साल से महाराष्‍ट्र में शिवसेना के नेतृत्‍व में महाअगाड़ी विकास की सरकार चल रही थी जिसका अंत गुरूवार को एकनाथ शिंदे ने कर दिया। 30 जून की इस तारीख को उद्धव ठाकरे शायद ही भूल पाएंगे। इस दिन उन्होंने सबकुछ देखा। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें अपने और अपने पिता के एक अनुयायी को राज्य के सर्वोच्च पद की कमान संभालते हुए देखा। सबसे दुखद बात यह थी कि जिस पार्टी की स्थापना उनके पिता ने महाराष्ट्र और यहां की गठबंधन की सरकार पर कंट्रोल करने के लिए की थी वह भी लगभग उनके हाथ से निकल चुकी है। भाजपा पार्टी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भविष्य के लिए एक लकीर खींच दी है।

महाराष्ट्र की सियासत में उद्धव ठाकरे एक थके और हारे हुए नायक की तरह दिख रहे हैं। ऐसे में उनके साथ जो दर्जन भर विधायक बचे हैं, आने वाले समय में उनमें से अधिकांश का टूटना तय माना जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे ने उनके पैरों के नीचे से जमीन खींच ली है। कुलमिलाकर उद्धव ठाकरे के हाथ से अब रिपोर्ट छूटकर जमीन पर गिर गया है।

जानिए एकनाथ शिंदे की कर्मभूमि और राजनीति का सफर
सातारा जिले से महाराष्ट्र का तीसरा मुख्यमंत्री बनने पर एकनाथ शिंदे की कर्मभूमि ठाणे जिले में उनके समर्थकों ने फटाखे फोड़कर खुशी जताई है। ऑटो रिक्शा चालक से मुख्यमंत्री तक का सफर तय करने वाले शिंदे पिछले दिनों से देश के सबसे चर्चित नाम हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि वे महाराष्ट्र को विकास की राह पर ले जाने में सफल होंगे।

शरद पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे के रूप में सातारा जिले को फिर से मुख्यमंत्री पद मिला है। इससे पहले यशवंत राव चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण इस जिले से राज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। इन नेताओं की तरह ही एकनाथ शिंदे समाज के हर वर्ग को साथ लेकर सूबे के गरीब, शोषित लोगों की आवाज बनेंगे और उनके लिए बेहतर काम करेंगे। इस बीच एकनाथ को राज्यपाल की ओर से सरकार बनाने की घोषणा की जानकारी मिलते ही शिंदे गुट के विधायकों में खुशी की लहर फैल गई।



एकनाथ शिंदे मूल रूप से सातारा जिले के हैं और ठाणे जिले में रहते हैं और यही उनकी कर्मभूमि है। इसलिए ठाणे जिले में उनके समर्थकों ने फटाखे फोड़कर उनका स्वागत किया है। शिवसेना में बगावत के बाद अब उन्होंने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई है। कम उम्र में ही वे ठाणे आ गए और 11वीं तक की शिक्षा मंगला हाई स्कूल और जूनियर कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्हें शिक्षा छोड़नी पड़ी और अपने परिवार के जीवन-यापन के लिए ऑटो चलाना शुरू कर दिया। एकनाथ शिंदे की शादी लता शिंदे से हुई है। उनके बेटे डॉ. श्रीकांत शिंदे आर्थोपेडिक सर्जन हैं। वे कल्याण निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं।

राजनीति में शामिल होने के बाद शिंदे ठाणे-पालघर क्षेत्र में प्रमुख शिवसेना नेता के रूप में उभरे और जनहित के मुद्दों के प्रति आक्रामक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। शिवसेना ने उन्हें 1997 में पार्षद के रूप में ठाणे नगर निगम (टीएमसी) का चुनाव लड़ने का अवसर दिया, जिसमें उन्होंने भारी बहुमत से जीत हासिल की। 2001 में वह ठाणे नगर निगम में सदन के नेता के रूप में चुने गए। वह 2004 तक इस पद पर बने रहे। ठाणे नगर निगम में सदन के नेता के रूप में उन्होंने खुद को ठाणे नगर निगम या शहर से संबंधित मुद्दों तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि समग्र विकास और पूरे जिले के कल्याण में सक्रिय रुचि ली।

महाराष्ट्र के सातारा जिले में 9 फरवरी 1964 को जन्मे एकनाथ शिंदे कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। वह 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार 4 बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। 2014 के चुनावों के बाद उन्हें शिवसेना के विधायक दल के नेता और बाद में महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में चुना गया। एकनाथ संभाजी शिंदे उद्धव सरकार में पीडब्ल्यूडी कैबिनेट मंत्री थे। उन्होंने जनवरी 2019 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली।

फडणवीस के इशारे पर चलेगी नई सरकार
महाराष्ट्र में फिर से भाजपा और शिवसेना गठबंधन की ही सरकार बनी है, लेकिन, इसके रिमोट कंट्रोल मातोश्री से बाहर जा चुका है। रिमोट अब बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के हाथ में है। भाजपा को अभी अतीत में हुए और अपमान का बदला लेना है। इसके लिए अब भगवा पार्टी यह चाहेगी कि कभी भी रिमोट को ठाकरे परिवार में वापस नहीं दिया जाए।

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