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किसानों ने खाई सौगंध, जब तक कृषि कानून रद्द नहीं तब तक नहीं होगी घर वापसी

रोहतक। केन्द्र सरकार व किसान संगठनों के बीच कई बार हो चुकी वार्ता में कोई समाधान नहीं होने पर किसानों व सरकार के खिलाफ आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। किसानों ने सौंगध खाई है कि जब तक तीन कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते है, वह घर वापसी नहीं करेंगे। किसानों ने छह जनवरी को केएमपी हाइवे पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का भी निर्णय लिया है।

मंगलवार को मकडोली, मदीना, रोहद व डीघल टोल प्लाजा पर किसानों ने आंदोलन को ओर तेज करने की रणनीति बनाई। किसानों का कहना है कि सरकार बार बार झूठ बोल रही है और किसानों के आंदोलन को खिंचना चाहती है। सरकार कहती है कि कुछ किसान संगठन कानूनों के समर्थन में है, लेकिन देश का हर वर्ग अन्नदाता के साथ है और इस काले कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के पक्ष में है।

जिले से कई सामाजिक संगठनों के जत्थे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हुए। इन जत्थों में महिलाओं की संख्या भी अधिक रही। वहीं जगह जगह पर नेशनल हाइवे पर ग्रामीणों द्वारा लंगरों का भी आयोजन जारी रहा। भारतीय किसान यूनियन अंबावता के प्रदेश अध्यक्ष अनिल नांदल ने कहा कि सरकार के सभी एजेंडे व हथकंडे फैल हो चुके है। किसानों ने मंदिर व गुरूद्वारों में कसम खाई है कि जब तक यह तीन काले कानून रद्द नहीं हो जाते है तब तक वह घर वापिस नहीं जाएंगे।

अनिल नांदल ने कहा कि 41 दिन से किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे है, लेकिन सरकार टकराव की स्थिति चाहती है, लेकिन इस बार किसान पीछे नहीं हटेगे। उन्होंने कहा कि वह किसान वह योद्धा है, जो जमीन का सीना चीर के अन्न उगाता है और वह अपने अच्छे बुरे को भली भांति समझ चुका है। कृषि कानून पूरी तरह से किसान विरोधी है।खेती और खाद्यसुरक्षा विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मजदूर संगठन और जनवादी महिला समिति के जत्थे दिल्ली टिकरी बॉर्डर के लिए रवाना हुए। (एजेंसी, हि.स.)

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