नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया. इस सर्वे के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ 8-8.5% रहने का अनुमान है. जो चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 9.2% की वृद्धि से कम है. बता दें कि वित्त मंत्री कल यानी 1 फरवरी, 2022 को सुबह 11 बजे संसद में केंद्रीय बजट पेश करेंगी.
यह आम बजट आने वाले वित्तीय वर्ष में सरकार की आर्थिक नीतियों (economic policies) की दिशा तय करेगा. मंगलवार को वार्षिक बजट से पहले संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी मैक्रो संकेतकों (Macro Indicators) ने संकेत दिया कि अर्थव्यवस्था चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. कृषि और औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में मदद मिली है.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022 में रियल जीडीपी ग्रोथ 9.2% तक संभव है. वहीं इस दौरान इंडस्ट्रियल ग्रोथ 11.8% संभव है. इसके साथ ही एग्रीकल्चर सेक्टर में ग्रोथ 3.9% तक हो सकती है.
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मैक्रो इकोनॉमी के मोर्चे पर वित्तीय साल 2023 में चुनौतियां रहेंगी. इस दौरान जीडीपी ग्रोथ में एक्सपोर्ट का अहम योगदान होगा. इसके साथ ही वैक्सीन का बढ़ता दायरा ग्रोथ इंजन को मजबूती देगा. वहीं, वित्तीय वर्ष 2023 के जीडीपी ग्रोथ में कैपेक्स की अहम भूमिका होगी. सर्वे में कहा गया है कि बैंकों में पूंजी की कमी नहीं है. सरकार वित्तीय लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकती है.
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, महामारी के कारण हुए नुकसान से निपटने के लिए भारत की आर्थिक प्रतिक्रिया मांग प्रबंधन के बजाय आपूर्ति-पक्ष में सुधार पर केंद्रित रही है. वित्त वर्ष 2022-23 में वृद्धि को व्यापक टीकाकरण, आपूर्ति-पक्ष में किए गए सुधारों से हासिल लाभ एवं नियमन में दी गई ढील से समर्थन मिलेगा.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, मजबूत निर्यात वृद्धि और राजकोषीय गुंजाइश होने से पूंजीगत व्यय में तेजी आएगी जिससे अगले वित्त वर्ष में वृद्धि को समर्थन मिलेगा. इसके अलावा वित्तीय प्रणाली अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए समर्थन देने की बेहतर स्थिति में है. इस वित्तीय वर्ष में निजी निवेश तेज होने की भी संभावना है.
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