आचंलिक

लोक भाषाएं एवं स्थानीय बोलियाँ हिंदी का आधार हैं, शाासकीय महाविद्यालय में हुआ कार्यक्रम

महिदपुर। शासकीय महाविद्यालय महिदपुर में हिन्दी विभाग द्वारा मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 में मातृभाषाएँ मध्य प्रदेश की लोक भाषाओं का साहित्य एवं संस्कृति रखा गया। शुभारंभ सरस्वती पूजन, दीप-प्रज्वलन व बी.ए. तृतीय वर्ष की छात्रा मीना परमार द्वारा प्रस्तुत सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ हुआ। उपस्थित समस्त अतिथिगण का स्वागत महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. आशा सक्सेना ने किया। संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में सभी अतिथि वक्ताओं ने लोक भाषा और लोक साहित्य की महत्ता को प्रतिपादित किया। चार सत्रों में आयोजित इस संगोष्ठी में देश के कोने-कोने से लोकभाषा और लोकसाहित्य के विद्वानों ने विषय-विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता की। विक्रम विश्वविद्यालय की हिन्दी अध्ययनशाला के पूर्व अध्यक्ष एवं आचार्य डॉ. हरिमोहन बुधौलिया, डॉ. प्रेमलता चुटैल, वर्तमान अध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्रकुमार शर्मा, मुंबई विद्यापीठ, मुंबई के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दत्तात्रय मुरुमकर, दिल्ली विश्वविद्यालय के बी.एस. महाविद्यालय के डॉ. सुनील कुमाल तिवारी, महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय की हिन्दी अध्ययनशाला के डॉ. बहादुर सिंह परमार, उज्जैन से लोककवि डॉ. शिव चौरसिया, मनासा (नीमच) के लोकसाहित्य मर्मज्ञ डॉ. पूरन सहगल, बड़ौदा (गुजरात) के डॉ. दीपेंद्र जड़ेजा, शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय बडवानी के हिन्दी विभाग की आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. मंजुला जोशी तथा श्री सीताराम जाजू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय नीमच की प्राध्यापक डॉ. बीना चौधरी संगोष्ठी में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्रकुमार शर्मा ने वक्तव्य देते हुए अपने उद्बोधन में संगोष्ठी के विषय के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज कई बोलियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं।


अत: हमें लोक भाषाओं व बोलियों के अस्तित्व-रक्षण हेतु सार्थक प्रयासों के बारे में चिंतन करना होगा। ज्ञान का अर्जन हम अपनी भाषा व बोली में ही श्रेष्ठ तरीके से कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति सही अर्थों में लोक संस्कृति ही है और लोक भाषाएँ एवं बोलियाँ हमारी इस संस्कृति की पौषक तथा वाहक हैं। उपस्थित सभी विद्वानों ने अपना उद्बोधन दिया। संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ. घनश्याम सिंह, आयोजन सचिव डॉ. जाकिरुद्दीन अहिंगर, बी.एस.एन. शा. महाविद्यालय शाजापुर के सहायक प्राध्यापक डॉ. भेरूलाल मालवीय ने किया तथा आभार डॉ. प्रज्ञा शर्मा एवं डॉ. रीना अध्वर्यु ने व्यक्त किया। महाविद्यालय की प्राचार्य एवं स्टॉफ सदस्यों द्वारा सभी अतिथियों को शाल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

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