भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

मप्र में वन क्षेत्र बढ़ा, लेकिन सघन वनों में आ रही है कमी

  • इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 में सामने आए आंकड़ें

भोपाल। मध्य प्रदेश में 3,08,252 वर्ग किमी में से 77,493 वर्ग किमी यानी 25 फीसदी क्षेत्रफल फॉरेस्ट कवर में आता है। यह 2019 के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक अति सघन वन 6,665 वर्ग किमी, मध्यम सघन वन 34,209 वर्ग किमी और खुले वन 36,618 वर्ग किमी में रह गए। इस साल मौसम ने अपने विविध रंग दिखाए हैं और दिखा रहा है। मई में पारा बढऩा था, लेकिन उसकी जगह मध्य प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में बारिश-ओलावृष्टि ही होती रही। अब भी हो रही है। विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह वन क्षेत्र में आ रही कमी को बताया जा रहा है। हालांकि, सरकारी आंकड़ों में वन क्षेत्र बढ़ रहा है। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के मुताबिक 2019 के मुकाबले देश में वन आच्छादन (फॉरेस्ट कवर) 21 प्रतिशत तक बढ़ा है। मध्य प्रदेश की बात करें तो इसमें 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की बात की गई थी।
इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट में तीन मापदंडों को आधार पर जंगलों का वर्गीकरण किया गया है। जिन जंगलों में पेड़ों का घनत्व 70त्न या अधिक होता है, उन्हें अति सघन वन कहा जाता है। इसी तरह 40त्न-70त्न पेड़ों वाले जंगलों को मध्यम सघन वन और 10त्न से 40त्न पेड़ों के घनत्व वाले वनों को ओपन फॉरेस्ट कहा जाता है। यह रिपोर्ट हर दो साल में आती है। 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 77 हजार वर्ग किमी से अधिक का जंगल है, जो देश में सबसे अधिक है।

25 फीसदी क्षेत्रफल में है जंगल
2021 की रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 77,493 वर्ग किमी में वन आच्छादन है। मध्य प्रदेश की बात करें तो 3,08,252 वर्ग किमी में से 77,493 वर्ग किमी यानी 25 फीसदी क्षेत्रफल फॉरेस्ट कवर में आता है। यह 2019 के मुकाबले 10 प्रतिशत अधिक है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अति सघन वन 6,665 वर्ग किमी, मध्यम सघन वन 34,209 वर्ग किमी और खुले वन 36,618 वर्ग किमी में रह गए। चिंता की बात यह है कि जिन 50 जिलों का सर्वे हुआ था और उनमें से 38 में फॉरेस्ट कवर कम हुआ है। सघन वन 11 वर्ग किमी और मध्यम सघन वन 132 वर्ग किमी कम हुए हैं। खुले वनों में जरूर 154 वर्ग किमी की बढ़ोतरी हुई है।

सघन वनों में आ रही कमी चिंता का कारण क्यों?
प्राकृतिक जंगलों की भरपाई पौधरोपण से नहीं हो सकती। प्राकृतिक जंगलों अपने आप विकसित हुए हैं और उनमें विविधता है। इस वजह से उनकी जैव-विविधता की भरपाई मानवनिर्मित जंगलों से नहीं हो सकती। एक-से पौधे होने की वजह से उनमें रोग फैलने और आग लगने का खतरा भी बना रहता है। इतना ही नहीं, मानवनिर्मित जंगल तेजी से विकसित तो हो सकते हैं लेकिन उनमें कार्बन अवशोषित करने की क्षमता उतनी नहीं होती, जितनी प्राकृतिक जंगलों में होती है। इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट में सिर्फ ग्रीन कवर देखा जाता है। उसमें खेती के लिए लगाए गए पेड़ों को भी गिन लिया जाता है। विशेषज्ञ इस पर अक्सर सवाल उठाते रहे हैं।


आंकड़ों की बाजीगरी है और कुछ नहीं
पर्यावरणविद और आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि रिजर्व या प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट मानवीय दखल से नहीं पनपा है। यह प्राकृतिक संपदा थी, जिसे विकास कार्यों के लिए की गई कटाई और अतिक्रमण ने तबाह कर दिया है। वोटबैंक की राजनीति हावी हुई है। हरियाली का घनत्व सरकारी आंकड़ों में बढ़ता है, जो आंकड़ों की बाजीगरी ही है। लटेरी, बुरहानपुर, विदिशा, भोपाल के बैरसिया, राजगढ़ इलाके में सागौन की कटाई धड़ल्ले से हुई है। स्वस्थ जंगल का एक इंडिकेटर होता है बाघों की संख्या। छत्तीसगढ़ में एक समय सघन वन थे, लेकिन आज वहां बाघों की संख्या घटकर दस रह गई है। यह बताता है कि जंगल वहां भी कट रहे हैं।

सरकार का दावा- हरियाली बढ़ रही है
केंद्र सरकार इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट 2023 रिपोर्ट जल्द ही जारी करेगी। वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी चित्तरंजन त्यागी का कहना है कि पिछले कुछ समय में विभिन्न योजनाओं में पौधरोपण बढ़ा है। जंगल की सुरक्षा में जनभागीदारी के फायदे भी नजर आएंगे। अतिक्रमण और विभिन्न विकास कार्यों के लिए वनों की कटाई एक गंभीर मुद्दा है। उसकी भरपाई के लिए हर साल तीन से चार करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों का दावा है कि 2023 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश में 10 से 20 हजार हेक्टेयर जंगल की बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा सकती है।

अंकुर अभियान भी बढ़ाएगा ग्रीन कवर
कई जिलों में जब ग्रीन कवर घटने लगा, तब मध्य प्रदेश में अंकुर योजना की शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अंकुर योजना के तहत जनता से मानसून से पहले और उसके दौरान पौधे लगाने की अपील की। इन अभियानों में 16.10 लाख लोग शामिल हुए। उन्होंने अब तक 38.88 लाख पौधे लगाए। विशेष अभियानों को मिला दें तो अब तक 60 लाख से अधिक पौधे पिछले दो साल में जनता ने लगाए हैं। इसका भी असर आने वाले दिनों में दिखेगा और प्रदेश का ओवरऑल ग्रीन कवर बढ़ेगा।

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