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100 रुपए महीने की नौकरी से 662 करोड़ के मालिक तक, सबसे अमीर प्रत्याशी की कहानी

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है. राज्य में उम्मीदवारों की तस्वीर साफ हो चुकी है. नामांकन के समय जमा कराए हलफनामे से उम्मीदवारों को लेकर कई जानकारी सामने आई है. हर बार की तरह इस बार भी चुनावी मैदान में कई ऐसे प्रत्याशी हैं जो किसी धन्ना सेठ से कम नहीं. इनमें गांधीनगर की माणसा सीट से बीजेपी प्रत्याशी जयंतीभाई पटेल (जेएस पटेल) का नाम सबसे ऊपर है. एक समय था जब जयंतीभाई 100 रुपए महीना कमाते थे और आज 662 करोड़ के मालिक हैं.

रीजनल रिपोर्ट के अनुसार, जेएस पटेल का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है.महज 10वीं पास और 64 साल के जेएस पटेल पेशे से किसान और बिल्डर हैं. जेएस पटेल बीजेपी में कई तरह की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. उन्होंने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मंगलदास पटेल के चुनाव प्रभारी के रूप में अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी. उस वक्त से लेकर जेएस पटेल लोकसभा चुनाव और कई स्थानीय चुनावों में विभिन्न संगठनात्मक जिम्मेदारी निभा चुके हैं. उन्होंने बीजेपी को कोबा में एक जमीन दी थी जिसपर पार्टी का क्षेत्रीय कार्यालय है.

अहमदाबाद में कई छोटे-मोटे काम किए
माणसा के अजोल गांव के निवासी जेएस पटेल अब भले ही 6 अरब की संपत्ति के मालिक हों लेकिन उनका जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है. काफी संघर्ष के दम पर वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं. एक किसान के रूप में खेतों में काम करने से लेकर 100 रुपये महीने की दिहाड़ी और फिर कई ठोकरें. जेएस पटेल बताते हैं कि हम किसान के बेटे थे तो हमें जीवन में मेहनत ही करनी थी. हालांकि दूरदर्शिता और आगे बढ़ने की चाहत मुझे अहमदाबाद ले आई. जहां कई तरह के छोटे-मोटे काम किए. उसके बाद मैं कंस्ट्रक्शन लाइन में घुस गया.


साल 1977-78 में उन्होंने अहमदाबाद में एक नौकरी की जहां उन्हें 100 रुपए महीने मिलते थे. वहां उन्होंने लगभग पांच महीने काम किया. ये नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने लोहे का कारोबार शुरू किया. मिलों में उन्होंने कई तरह के काम किए फिर कंस्ट्रक्शन लाइन में आ गए और यहां भी उन्होंने कई जगह कई तरह के काम किए. फिलहाल वह रियल स्टेट के कारोबार में हैं.

नरेंद्र मोदी के साथ भी किया है काम
जेएस पटेल कहते हैं, ‘मैं बीजेपी में केवल कार्यकर्ता रहा हूं. पार्टी ने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी मैंने उसे पूरा किया. मैंने जिला और क्षेत्रीय कार्यकारिणी में भी काम किया है. नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब उनका सद्भावना उपवास हो, प्रोटोकाल का काम हो, संगठन की कोई भी जिम्मेदारी हो, मैंने इन सबका बखूबी निर्वाह किया गया है. माणसा में वार्ड-3 की जिम्मेदारी भी संभाली है.’

जेएस पटेल ने कहा कि मैं पिछले 25 सालों से समर्पित रूप से सामाजिक कार्य कर रहा हूं. वह कई संस्थानों के अध्यक्ष है. उनमें से एक मनसा गायत्री शक्तिपीठ है, जहां प्रतिदिन लोकसेवा का कार्य होता है. जहां प्रत्येक जाति के 450 से 500 विवाह हर वर्ष होते हैं. यहां जाति की कोई बाध्यता नहीं है. इसके अलावा गायत्री शक्तिपीठ की रसोई में प्रतिदिन 800 से 1000 लोग भोजन करते हैं. पटेल ने एक स्कूल भी बनवाया है, जहां लगभग 850 बच्चे पढ़ते हैं. डाकोर में उन्होंने एक धर्मशाला भी बनवाई है. इसके अलावा उमिया माता उंझा संस्थान हो, विश्व उमिया संस्थान हो या सरदार धाम, इन सभी संस्थाओं ने उन्हें जनसेवा का ट्रस्टी बनाया है. साथ ही जेएस पटेल नवनिर्माण बैंक में भी लगभग 22 वर्षों तक निदेशक रहे.

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