- सहायता या निर्ममता, जरूरतमंद विकलांग ताकते रह गए
इन्दौर। जनसुनवाई में पहुंच रहे आवेदकों की स्थिति देखकर कलेक्टर ने दिव्यांगों को मुख्यमंत्री के हाथों स्कूटी दिलाने की मानवीय पहल तो की, लेकिन यह पहल बंदरबाट बनकर रह गई, जिसमें कार, बाइक वाले संपन्न लोगों को जहां नि:शुल्क स्कूटी दी गई, वहीं कई जरूरतमंद मुंह ताकते रह गए।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कल प्रेस्टीज कालेज परिसर में 100 दिव्यांगों को अपने हाथों से स्कूटी की चाबी प्रदान की। इस दौरान कई ऐसे दिव्यांग दर्शकदीर्घा में मन मसोसकर बैठे थे, जिन्हें पात्रता और जरूरत होने के बावजूद भी वाहन नसीब नहीं हो सका, जबकि दूसरी तरफ ऐसे सक्षम दिव्यांग पति-पत्नी या हल्की लंगड़ाहट लेकर चल रहे लोगों को 85 हजार कीमत की स्कूटी नि:शुल्क मिल गई।
कार, बाइक और जमीन के मालिक को स्कूटी मिली
अग्निबाण ने इन दिव्यांगों से चर्चा की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। स्कूटी लेने वाले भारतीय जायसवाल और मनोहर सोलंकी की फेसबुक वॉल चेक की तो पाया कि कार और बाइक होने के बावजूद दोनों को प्रशासन से नि:शुल्क स्कूटी मिल गई, वहीं रामकिशन राठौर हातोद को उन्हें पैरालेसिस का अटैक के चलते विकलांगता सर्टिफिकेट मिल गया और आज स्कूटी भी मिल गई। शकील अहमद निवासी रिंगरोड खजराना दो मंजिला मकान के मालिक हैं और हाल ही में एक्टिवा 5-जी खुद खरीदी है, लेकिन फ्री में मिल रही गाड़ी भी ले ली। इसी तरह के 20 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिन्हें आनन-फानन में पात्रता सूची में दर्ज कर दिया गया।