नई दिल्ली (New Delhi) । जर्मन चांसलर ओल्फ शोल्ज (German Chancellor Olf Scholz) अपनी भारत यात्रा (India trip) के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की समाप्ति के लिए भारत (India) से मध्यस्थता करने का अनुरोध कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बातचीत के एजेंडे में रूस यूक्रेन-युद्ध का मुद्दा भी शामिल है। पश्चिमी देश शुरू से ही प्रयास कर रहे हैं कि इसमें भारत अपनी भूमिका निभाए। भारत शुरू से युद्ध का विरोध कर रहा है। साथ ही वार्ता और कूटनीति के जरिये विवाद को सुलझाने के पक्ष में रहा है। शोल्ज शनिवार को भारत आ रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरा हो चुका है। इसके खत्म होने के आसार आगे भी नजर नहीं आ रहे। पश्चिमी देश चाहते हैं कि युद्ध खत्म होने का कोई रास्ता निकले, क्योंकि इसके दुष्प्रभावों का सामना पूरी दुनिया कर रही है। पश्चिमी देश भारत की भूमिका को इस मामले में महत्वपूर्ण मानते हैं और फ्रांस समेत कई देशों की तरफ से ऐसी अपील पूर्व में भारत से की गई है।
शनिवार को जब दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिलेंगे तो वह द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय महत्वपूर्ण के वैश्विक मुद्दों और वैश्विक भू राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा करेंगे। भारत की तरफ से हालांकि आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन जर्मनी की तरफ से बताया गया है कि रूस-युक्रेन युद्ध इस बातचीत के एजेंडे में है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की हाल में यूक्रेन यात्रा और उसके बाद संसद में दिए गए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के वक्तव्य के बाद यह मामला और भी महत्वपूर्ण हो गया है। जर्मनी का मानना है कि इस मामले में भारत की मध्यस्थता कारगर हो सकती है। रूस और भारत मित्र हैं। भारत की आवाज को मास्को में सुना जाएगा और वह इस युद्ध का हल तलाशने में कारगर हो सकती है।
चीन ने युद्ध समाप्ति के लिए कही थी शांति प्रस्ताव की बात
बता दें कि हाल में चीन की तरफ से भी यह बात कही गई थी कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति के लिए एक शांति प्रस्ताव लाएगा। हालांकि, अभी तक यह सामने नहीं आया है। यहां एक बात महत्वपूर्ण है कि जिस प्रकार की मध्यस्थता को लेकर लगातार पश्चिमी देश भारत से अनुरोध कर रहे हैं, उस तरह से चीन को नहीं किए गए हैं। इससे साबित होता है कि वैश्विक भू राजनीति में भारत अपना अहम स्थान बनाने में सफल हो रहा है। जबकि चीन भी रूस का मित्र है।
हिंद-प्रशांत से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी
यात्रा के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर तो दोनों राष्ट्राध्यक्ष चर्चा करेंगे ही, साथ ही भारत के लिए ज्यादा अहम हिंद-प्रशांत से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा होगी। भारत ने जर्मनी को हिंद-प्रशांत समुद्री पहल (आईपीओआई) में भी शामिल कर रखा है, जो एक सैन्य साझीदारी पहल है। इसे और मजबूत करने पर बातचीत होने की संभावना है।