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सोने में गिरावट का दौर जारी, क्या हो गई नई कीमत

नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीन की घोषणा के बाद सोने की कीमतों में जो गिरावट आई थी, वह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कभी अगर सोना थोड़ा सुधर जाता है तो अगले ही दिन उसमें गिरावट दिखने लगती है। अभी भी सोना गिरावट के साथ खुला। शुक्रवार को 52,227 के स्तर पर बंद हुआ सोना आज नए कारोबारी सप्ताह के पहले ही दिन 76 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 52,151 के स्तर पर खुला। परेशानी की बात ये है कि सोने में गिरावट इसके बाद के कारोबार में भी बढ़ती ही जा रही है। बाजार खुलने के महज चंद मिनटों के कारोबार में ही ऐसा भी वक्त आया जब सोने ने 52,220 रुपये का उच्चतम स्तर और 52,113 रुपये का निम्नतम स्तर छुआ। यानी उच्चतम स्तर भी गिरावट की भरपाई वाला नहीं रहा।
रूस द्वारा कोरोना टीका बनाने का दावा करने के बाद सोने और चांदी के दाम में बीते सप्ताह भारी गिरावट आई। लेकिन, आर्थिक सुस्ती, अमेरिका-चीन के बीच तकरार और डॉलर में कमजोरी से सोने और चांदी की तेजी को आगे भी सपोर्ट मिलने के आसार हैं। कमोडिटी विशेषज्ञों की माने तो सोने और चांदी के प्रति निवेशकों को आकर्षण अभी कायम है क्योंकि कोरोना का कहर अभी टला नहीं है और शेयर बजार में अनिश्चितता बनी हुई है। विशेषज्ञ बताते हैं कि महंगी धातुओं के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम नहीं हुआ है, यही वजह कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का वायदा भाव रिकॉर्ड उंचाई 2089 डॉलर प्रति औंस से 215 लुढ़ककर 1874 डॉलर पर आ गया, लेकिन सप्ताह के आखिर में सोने का भाव 1953.60 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ, जोकि इससे पहले के रिकॉर्ड स्तर काफी उपर है। सोने का वायदा भाव इससे पहले 2011 में 1,911.60 डॉलर प्रति औंस तक उछला था।
कोरोना काल में सोना बना वरदान
सोना गहरे संकट में काम आने वाली संपत्ति है, मौजूदा कठिन वैश्विक परिस्थितियों में यह धारणा एक बार फिर सही साबित हो रही है। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक संकट के बीच सोना एक बार फिर रिकॉर्ड बना रहा है और अन्य संपत्तियों की तुलना में निवेशकों के लिए निवेश का बेहतर विकल्प साबित हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि उतार-चढ़ाव के बीच सोना अभी कम से कम एक-डेढ़ साल तक ऊंचे स्तर पर बना रहेगा। दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का मानना है कि कम एक साल तक सोना उच्चस्तर पर रही रहेगा। वह कहते हैं कि संकट के इस समय सोना निवेशकों के लिए ‘वरदान’ है। गोयल मानते हैं कि दिवाली के आसपास सोने में 10 से 15 प्रतिशत तक का उछाल आ सकता है।
दिवाली तक 70 हजारी हो सकता है सोना
एक्सपर्ट्स का कहना है कि दिवाली तक सोने का भाव नया रेकॉर्ड बनाएगा। वहीं जेपी मॉर्गन का कहना है कि वर्तमान में आर्थिक, महामारी और राजनीतिक हालात के मद्देनजर इसकी पूरी संभावना है कि सोना 70 हजार के स्तर को दिवाली तक छू जाए। उनका कहना है कि अगर कोरोना वैक्सीन आ भी जाती है तो भी ग्लोबल इकॉनमी में सुधार में अभी काफी समय है। तब तक सोने की कीमत में तेजी दर्ज की जाएगी।
मुसीबत की घड़ी में हमेशा बढ़ी है सोने की चमक!
सोना हमेशा ही मुसीबत की घड़ी में खूब चमका है। 1979 में कई युद्ध हुए और उस साल सोना करीब 120 फीसदी उछला था। अभी हाल ही में 2014 में सीरिया पर अमेरिका का खतरा मंडरा रहा था तो भी सोने के दाम आसमान छूने लगे थे। हालांकि, बाद में यह अपने पुराने स्तर पर आ गया। जब ईरान से अमेरिका का तनाव बढ़ा या फिर जब चीन-अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की स्थिति बनी, तब भी सोने की कीमत बढ़ी।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश जुलाई महीने में इससे पिछले माह की तुलना में 86 प्रतिशत बढ़कर 921 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सोने की कीमतें उच्चस्तर पर होने के बीच निवेशकों द्वारा अपने पोर्टफोलियो में बहुमूल्य धातुओं को जोड़ने को लेकर काफी उत्साह है, जिससे वे गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार इस तरह चालू साल के पहले सात माह में गोल्ड ईटीएफ में निवेश का शुद्ध प्रवाह बढ़कर 4,452 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। आंकड़ों के अनुसार, निवेशकों ने जुलाई में गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध रूप से 921 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पिछले महीने यानी जून में उन्होंने गोल्ड ईटीएफ में 494 करोड़ रुपये डाले थे। इस निवेश के बाद गोल्ड ईटीएफ के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) जुलाई के अंत तक 19 प्रतिशत बढ़कर 12,941 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो जून के अंत तक 10,857 करोड़ रुपये थीं।
सोने का आयात 81 प्रतिशत घटा
देश का सोने का आयात चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई की अवधि में 81.22 प्रतिशत घटकर 2.47 अरब डॉलर या 18,590 करोड़ रुपये रह गया। सोने का आयात देश के चालू खाते के घाटे (कैड) को प्रभावित करता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कोविड-16 महामारी के बीच सोने की मांग में काफी कमी आई है, जिससे आयात घटा है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में सोने का आयात 13.16 अरब डॉलर या 91,440 करोड़ रुपये रहा था। इसी तरह चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में चांदी का आयात भी 56.5 प्रतिशत घटकर 68.53 करोड़ डॉलर या 5,185 करोड़ रुपये रह गया। सोने और चांदी के आयात में कमी से देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिली है।

 

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