नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने भारतीय रेलवे की आर्थिक स्थिति पर गहरी चिंता जताई है। संसद में पेश लिखित रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि सरकार ने ऑपरेटिंग कॉस्ट में हेरफेर करते हुए रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया। आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को अभी जोड़कर दिखाया है।
जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाए गए उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया। भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी शामिल किया। इस कारण रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने वर्ष 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 97.29 फीसदी दिखाया जब की बजट अनुमानों के मुताबिक रेलवे को अपना ऑपरेटिंग रेश्यो 92.8 फीसदी रखना था।
ऑपरेटिंग रेश्यो में हेरफेर
रेलवे ने भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा और इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज्यादा दिखाई गई। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिए करीब 102 रुपये खर्च किए। रिपोर्ट में रेलवे प्रोजक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई है। रेलवे ने 2015-16 में LIC से 5 साल में 1.5 लाख ऋण लेने का करार किया था। यह राशि 2015 से 2020 के बीच मिल जानी चाहिए थी लेकिन रेलवे 2015 से 2019 तक केवल 16,200 करोड़ रुपये ही ले पाया। रिपोर्ट के मुताबिक 395 प्रोजेक्ट्स में से 268 प्रोजेक्ट्स 31 मार्च 2019 तक पूरे नहीं हुए थे।